महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : जीवन में किसी भी कार्य को करने से पहले या कोई निर्णय लेने से पहले स्वयं को शांत करें। जिस कार्य को आप करने जा रहे हैं या जो निर्णय लेने वाले हैं, उस पर शांत मन से विचार करें और फिर ही कदम उठाएं। जब हम कोई कार्य या निर्णय सोच-समझकर करते हैं, तब हम पर संकट नहीं आता। लेकिन वही कदम अगर अविचारपूर्वक उठाया, तो वह खतरनाक साबित हो सकता है। और यदि यह जानते हुए भी हम उसमें परिवर्तन नहीं करते, तो हम उसमें पूरी तरह उलझ जाते हैं।
ऐसे समय में अविवेक के कोलाहल में फँसकर हम स्वयं को खो देते हैं। हमारी इच्छाएँ, कामनाएँ और वासनाएँ ही हमें अविवेकपूर्ण या अविवेकी कार्य करने के लिए बाध्य करती हैं। इच्छाएँ, कामनाएँ और वासनाएँ एक रेगिस्तान की तरह होती हैं — कभी समाप्त न होने वाली।
एक इच्छा पूरी हुई नहीं कि दूसरी उत्पन्न हो जाती है। कई बार अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए हम दूसरों के उपकारों के बोझ तले दब जाते हैं, जिससे याचक या गुलामी की प्रवृत्ति हमारे भीतर जन्म लेती है।
इसी प्रवाह में कभी-कभी अपराध भी घटित हो सकता है। जब हम अपराध से स्वयं को मुक्त करने का प्रयत्न करते हैं, तभी से हमारी साधना और आराधना का आरंभ होता है। यही हमारी समाधि-मय जीवन यात्रा की शुरुआत होती है। समाधि-स्थ जीवन जीना है, तो जीवन में अनुशासन आवश्यक है; उचित दिशा और संतुलन चाहिए, तभी जीवन को आकार मिलता है।
जब हम ऐसी इच्छाओं को दूर करते हैं, तभी हमें अपने भीतर एक गहन संतोष की अनुभूति होती है। इसके लिए आवश्यक है कि हम स्वयं का निरीक्षण और परीक्षण करना सीखें। इसी आत्मपरीक्षण से अपने गुण-दोषों की पहचान होती है और हम स्वयं में परिवर्तन लाना प्रारंभ करते हैं।
जब एक बार हमें इस सबकी जागरूकता हो जाती है, तब हम अपने भीतर उठने वाले लोभ और इच्छाओं को नियंत्रित कर सकते हैं। जब हमें अपने भीतर स्थित परम सत्य का बोध होता है, तब परिवर्तन अपने आप आरंभ हो जाता है। “मैं स्वयं पूर्ण हूँ, इसलिए मैं अपने आप से संतुष्ट हूँ” — जब यह भाव जाग्रत होता है, तब हमारे जीवन में प्रगति के नए मार्ग खुलते हैं।
स्वयं से संतुष्ट और समाधानी व्यक्ति का आचरण और व्यक्तित्व कुछ अलग ही होता है। उसके चेहरे पर शांति, सकारात्मकता और समृद्धि की आभा झलकती है, जो दूसरों को भी प्रेरित करती है। इस प्रकार आत्मपरीक्षण से जीवन को मिला नया आयाम न केवल स्वयं के, बल्कि दूसरों के जीवन के लिए भी दिशा प्रदर्शक बनता है।
