महाराष्ट्र जैन वार्ता : अभिजित डुंगरवाल
पुणे : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण जैन तेरापंथ के ग्यारवे पटधर है, वे भगवान महावीर, बुध, महात्मा गांधी के पद पर चलते हुए, अहिंसक चेतना का विकास, नैतिक मूल्यों के जागरण एवं शांति के संदेश को जन जन तक पहुंचाने हेतु देश की राजधानी दिल्ली के लालकिले से सन् 2014 में अहिंसा यात्रा का प्रारंभ किया।
अहिंसा यात्रा के उपक्रम से और आचार्यश्री की प्रेरणा से हर जाति, धर्म, वर्ग के लाखों लोगों ने इस अहिंसा यात्रा में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संकल्पों की प्रतिज्ञा को स्वीकार किया है।यह प्रथम अवसर है, जब कोई जैनाचार्य पदयात्रा करते हुए सिर्फ राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रों का स्पर्श भी कर रहे हैं।
आचार्यश्री महाश्रमण ने अब तक भारत के दिल्ली, बिहार, असम, नागालैंड, मेघालय, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, पांडिचेरी, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और नेपाल एवं भूटान की यात्रा कर लोगों को नैतिकता और सदाचार के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया हैं।
अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमण ने पदयात्रा करते हुए 60000 किलोमीटर के आंकड़े को पार किया और एक नया इतिहास रचा। भौतिक संसाधनों से भरे आज के युग में, जहाँ परिवहन के बहुत सारे साधन हैं और व्यवस्थाएँ हैं, फिर भी भारतीय ऋषि परंपरा को जीवित रखते हुए, महान दार्शनिक आचार्य श्री महाश्रमणजी जनोपकार व मानवता की सेवा के लिए निरंतर पदयात्रा कर रहे हैं।
समय समय पर सभी प्रमुख राजनेता उनके मार्गदर्शन प्राप्त करने उनके दर्शन करते जिसमे भारत के पंतप्रधान मोदीजी, मोहन भागवतजी, लालकृष्ण अडवानीजी रामदेव बाबा अनेक लोग आपके संपर्क में है।
