महाराष्ट्र जैन वार्ता : अभिजित डुंगरवाल
पुणे : श्री आशापुरण पार्श्वनाथ भक्तिपूजा नगर जैन संघ मे पंन्यास राजरक्षित विजयजी ने कहा कि पुष्प करमाने का समय निश्चित है। सूर्य के अस्त होने का एक निश्चित समय होता है। लेकिन शरीर के रोगग्रस्त या भस्म होने का कोई निश्चित समय नहीं है।
बीमारी कभी भी आ सकती है। मौत किसी भी उम्र में आ सकती है। इसलिए धन-ऊर्जा और समय का अधिकतम शुभ उपयोग करें। आज का दिन हमारे हाथ में है। कल के लिए कोई आशा नहीं है। हम जानते हैं कि हम कितने समय तक जीवित रहे हैं, लेकिन हम यह नहीं जानते कि हम कितने समय तक जीवित रहेंगे।
मेरे अच्छे कर्म आज और मेरे बुरे कर्म कल पर रखना है। मौत को रोकना हमारे हाथ में नहीं है लेकिन मौत को सुधारना हमारे हाथ में है। शरीर को तप-त्याग-तितिक्षा में लगाना। धन का उपयोग परोपकार में करना चाहिए और गरीबों को मदद करनी चाहिए।
जीवों के साथ आत्मीयता विकसित करने के लिए सभी व्यक्ति के साथ मित्रता, गुणीजनों के प्रति प्रमोद, पापी जीवों के साथ माध्यस्थता, दुःखी जीवों के प्रति करुणा भावना रखनी चाहिए। एक भी प्राणी के प्रति दुर्व्यवहार, घृणा, द्वेष आध्यात्मिक प्रगति को रोक देता है। दोस्ती दुनिया के सभी प्राणियों से करनी होती है, लेकिन शुरुआत रिश्तेदारों से करनी होती है।
पिता-पुत्र, सास-बहू, भाई-भाई, पति-पत्नी में अत्यंत स्नेह होना चाहिए। बाजार में टिके रहने के लिए पैसे की जरूरत है लेकिन परिवार में टिके रहने के लिए प्यार की जरूरत है। अगर आपको पैसे और प्यार में से एक ही चीज चुननी है तो पैसे को गौण करलें और प्यार को महत्व दें।
