महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : प. पु. जीवराजजी म. सा. इनका जन्मस्थान पुणे में थेउर के निकट नायगांव बताया गया है। इस अवसर पर नायगांव में विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
नांदेड़ के पूर्व विधायक ओमप्रकाश पोकर्णा प. पु. जीवाराजजी म. सा. के जन्मस्थान को ढूंढने का प्रयास कई सालो से कर रहे थे। ये प्रयास अंततः सफल हुवा है।
नायगांव पुणे के थेउर के पास एक गावं है।
ऐसे महान जैन संत की जन्मस्थली होने के कारण गांव का माहौल भी मंगलमय था। गांव के नागरिको की ओर से गांव में महाराज साहब का स्मारक बनाने का निर्णय लिया गया है।शांताबाई पोकर्णा, बाळासाहेब धोका, सुभाष बोरा, प्रकाश बोरा, राजेंद्र मुथा, जयश्री मुथा, पारस पोकर्णा, सुरेखा बोरा, मंजूषा धोका, योगेश बजाज, सरपंच अश्विनी चौधरी, ग्राम सेवक विजया भगत, राजेंद्र चौधरी, गणेश चौधरी, योगेश चौधरी, नितिन हगवणे, नवनाथ गायकवाड, दत्तात्रेय बारवकर, उत्तम शेलार आदि सहित बडी संख्या में लोग उपस्थित थे।
महाराष्ट्र संतों की भूमि है। इसमें पुणे को पुण्यनगरी के नाम से जाना जाता है। जैन संत जीवराजजी म. सा. भी इसी धरती के हैं। उनका जन्म 1911 में प्रेमराजजी और माता चंपाबाई कंकलिया के घर हुआ था।
14 वर्ष की आयु में गुरुदेव प. पु. प्रेमराजजी म. सा. की प्रभावशाली आगम वाणी से उन्होंने अपना जीवन सांसारिक से आध्यात्मिक की ओर मोड लिया और 1925 में चिंचवड़ पुणे में जैन धर्म की दीक्षा ले ली।
वहां से वे प. पू. जीवराजमुनिजी म. सा. बने। उन्होंने पहला चातुर्मास खेड़ पुणे में गुरु के सान्निध्य में बिताया। वहां से उनकी संयम यात्रा शुरू हुई। उन्होंने महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, बिहार राज्यों में पैदल चलकर जैन धर्म का प्रचार-प्रसार किया। उनका 81 वर्ष की आयु में लातूर में निधन हो गया।
