महाराष्ट्र न्युज नेटवर्क : अभिजित डुंगरवाल
पुणे : भारतीय संस्कृति एवं इतिहास में अनेक उत्सवों की श्रृंखला में तेरापंथ धर्म संघ का मर्यादा महोत्सव अपनी अलग पहचान बनाए हुए है।
यह पर्व लौकिकता से पृथक अलौकिक भाव चेतना के साथ जुड़ा हुआ है। यह उत्सव तेरापंथ का महाकुम्भ है। मर्यादा और अनुशासन की भाव धारा से बंधा यह महोत्सव एक गुरु और एक विधान के प्रति समर्पित है।
आचार्य भिक्षु ने संगठित नेतृत्व को बहुत महत्व दिया। उन्होंने इस संदर्भ में मर्यादाओं का निर्माण किया। ये विचार 160 वें मर्यादा महोत्सव के अवसर पर मुनि मोहजीत कुमारजी ने तेरापंथ भवन, पुणे में प्रकट किए।
उन्होंने आगे कहा कि – तेरापंथ के संविधान के प्रति सजगता, समर्पण एवं आत्मनिष्ठा के संस्कारों को प्रगाढ़ बनाने का पाथेय संघ के आचार्य द्वारा प्रदान किया जाता है।इस अवसर पर मुनि भव्यकुमारजी ने मर्यादा गीत प्रस्तुत किया।
युवा मुनि जयेशकुमारजी ने मर्यादा के महत्व को प्रकट करते हुए गीत का संगान किया। राजेश पारख, मनोज संकलेचा, धर्मेन्द्र चोरडिया, जयदेव सेठिया, पायल धारेवा, करण सिंघी, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ कन्या मंडल आदि ने अपनी अभिव्यक्ति दी।
कार्यक्रम का कुशल संचालन वर्षा नाहटा एवं पिंकी संकलेचा ने शानदार तरीक़े से किया ! संघ गान के बाद सौरभ नाहटा ने आभार व्यक्त किया।
