पार्श्वपुरम जैन तीर्थ, बार्शी में अट्ठम तप महोत्सव की तैयारियाँ जोरों पर
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पवन श्रीश्रीमाळ
बार्शी : भारतवर्ष में जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ भगवान के जन्म और दीक्षा कल्याणक के पावन अवसर पर हर वर्ष पौष माह में नवमी, दशमी और एकादशी को अट्ठम तप महोत्सव श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस तीन दिवसीय आयोजन को पौष दशमी महोत्सव कहा जाता है, जिसमें उपवास, पूजन, भक्ति और आध्यात्मिक कार्यक्रम शामिल होते हैं।
पार्श्वपुरम जैन तीर्थ, बार्शी, जहाँ मुलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान विराजमान हैं, इस महोत्सव का मुख्य केंद्र है। यहाँ हर वर्ष श्रद्धालु बड़ी संख्या में एकत्रित होकर आयोजन में भाग लेते हैं। इस महोत्सव को सफल बनाने के लिए पार्श्वपुरम तीर्थ के ट्रस्ट अध्यक्ष मांगीलाल पुनमिया, पोपटलाल पुनमिया, भरत परमार, कमलेश मेहता, धीरज मेहता, अशोक पटवा, केवल राठौड़, जितेंद्रभाई चौहान, अमित कटारिया, अरविंद मेहता, चेतन राणावत और अन्य सदस्यों ने विशेष भूमिका निभाई है।
साथ ही, पद्मावती महिला मंडल, दिव्य भक्ति महिला मंडल, आदिजीन महिला मंडल और बार्शी के महिला मंडल ने तीन दिनों की पूजा के आयोजन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह महोत्सव भगवान श्री पार्श्वनाथ के प्रति भक्ति और तपस्या का प्रतीक है। जैन धर्म की महान परंपराओं को सजीव बनाए रखने का यह माध्यम श्रद्धालुओं के लिए धर्म और आस्था के प्रति समर्पण का अद्वितीय अवसर प्रस्तुत करता है।
पौष दशमी महोत्सव 2024 का यह आयोजन जैन समाज और श्रद्धालुओं के लिए एक प्रेरणा बनकर सामने आएगा।
मुख्य आयोजन
१) तपस्वीगण का अट्ठम तप : इस वर्ष कुल 35 तपस्वी अट्ठम तप करेंगे, जिसमें तीन दिनों तक उपवास रखा जाएगा।
२) पारना का लाभ (23 दिसंबर 2024, सोमवार) अट्ठम तप के प्रारंभ के एक दिन पूर्व, पारना का लाभ शा. चांदमलजी गुगळे बार्शी परिवार को प्राप्त हुआ है।
३) तपस्वियों का पारना और बहुमान (27 दिसंबर 2024, शुक्रवार) अट्ठम तप पूर्ण होने के बाद तपस्वियों के पारना और बहुमान का लाभ स्व. सौ. इचरजबाई संपतराजजी कांकरिया, बार्शी परिवार द्वारा लिया जाएगा।
