प्राकृत एवं जैन स्टडीज के क्षेत्र में अग्रणी संस्था ने मनाया ज्ञान और संस्कारों का पर्व
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : वर्धमान एज्युकेशन एण्ड रिसर्च इन्स्टिट्युट, पुणे का चतुर्थ दीक्षांत समारोह बुधवार को बड़े हर्ष, उल्लास और गरिमा के साथ संपन्न हुआ। सन 2015 से प्राकृत एवं जैन स्टडीज के क्षेत्र में शिक्षा, शोध और संशोधन का कार्य कर रही यह अग्रणी संस्था आज देशभर में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुकी है।
लगभग 30,000 से अधिक ग्रंथों से सुसज्जित आधुनिक ग्रंथालय यहाँ के विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए ज्ञान का अनुपम स्रोत बना हुआ है। संस्था ने MIT ADT विश्वविद्यालय, पुणे एवं विश्वकर्मा विश्वविद्यालय, पुणे के संयुक्त तत्वावधान में B.A., M.A. और Ph.D. कोर्सेस संचालित किए हैं।
अब तक 103 विद्यार्थियों ने डिग्री प्राप्त की है, जबकि वर्तमान में 106 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इसके साथ ही प्राकृत, संस्कृत, ब्राह्मी लिपि, देवनागरी लिपि, इंग्लिश स्पीकिंग और थोकड़ा जैसे सर्टिफिकेट कोर्सेस में 1000 से अधिक विद्यार्थियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
शोध को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से विश्वकर्मा विश्वविद्यालय, पुणे एवं जैन विश्वविद्यालय, बेंगलुरु के सहयोग से Ph.D. प्रोग्राम संचालित किया जा रहा है, जिसमें वर्तमान में 21 शोधार्थी कार्यरत हैं। इनके मार्गदर्शन हेतु तीन रिसर्च गाइड्स और एक रिसर्च डायरेक्टर नियुक्त हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ वर्धमान प्रतिष्ठान, सेनापति बापट रोड, शिवाजीनगर में प्रातः 9 बजे जैन राष्ट्रगान, मंगलाचरण एवं स्वागत गीत के साथ हुआ। संस्था की गतिविधियों का विस्तृत परिचय मुख्य समन्वयक एवं ट्रस्टी अर्चना अमोल लुणावत ने प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत किया।
विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए, अध्यापकों का सत्कार हुआ तथा संस्था के सचिव विलास राठोड ने आगामी योजनाओं और गतिविधियों की रूपरेखा साझा की। समारोह की शोभा प्रो. डॉ. श्रेयांसकुमार जैन (बडौत) और डॉ. दिलीपजी ओक (चेअरमैन, ओक अकादमी) के प्रेरणादायी उद्बोधनों से और बढ़ गई, जिन्होंने विद्यार्थियों में नई ऊर्जा और दिशा का संचार किया।
कार्यक्रम में पद्मश्री आचार्य चंदनाजी म.सा., प.पू. शिलापीजी म.सा. एवं प.पू. सुशिलाजी म.सा. आदि ठाणा का पावन सान्निध्य प्राप्त हुआ। एम.ए. विद्यार्थियों द्वारा अपभ्रंश भाषा में रचित नाटिका “मयणपराजय” (मुक्ति की ओर जाने का रास्ता) ने सबका मन मोह लिया।
गुरु–शिष्य परंपरा की अनुपम झलक तब देखने को मिली जब विद्यार्थियों ने अपने अध्यापकों का आदरपूर्वक सत्कार किया। नेपाल, पोखरा में “मानव रत्न पुरस्कार” से सम्मानित विलास राठोड सहित प्रो. महेश देसाई और जितु तातेड का भी विशेष सत्कार किया गया।
कार्यक्रम में ट्रस्टीगण राजकुमार चोरडिया (प्रविण मसालेवाले), कुंदनमल दरडा, विमल बाफना, निर्मला छाजेड, ललिता ओस्तवाल, सुषमा लुंकड और निर्मला कांकरिया सहित अनेक मान्यवर उपस्थित रहे।
प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी गोल्ड मेडल प्रदान किया गया तथा 12 विद्यार्थियों को रैंक प्रमाणपत्र और सभी विद्यार्थियों को विशेष सम्मानपत्र प्रदान किए गए। द्वितीय सत्र विश्वकर्मा विश्वविद्यालय, कोंढवा में आयोजित हुआ, जहाँ चेअरमैन भरत अग्रवाल की उपस्थिति में विद्यार्थियों को डिग्री सर्टिफिकेट प्रदान किए गए।
इस अवसर पर बी.ए. की छात्रा शिल्पा मुथा को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। एम.ए. डिग्री होल्डर्स में अर्चना लुणावत, दर्शना जैन, अल्पना बोरा, मंजु जैन, चंचल कोठारी, साधना रांका, शितल पारख, ममता कांकरिया, स्मिता जैन, संगिता नहार, सोनल जैन, मनिषा भटेवरा, तनुजा लुणावत, सुजाता शिंगवी, प्रियाली जैन, आस्था जैन, सुनिता शिंगी, शितल कटारिया और सुजाता लुणावत शामिल थीं।
वहीं बी.ए. डिग्री प्राप्त करने वालों में अमिता कवाड, सीमा रेदासनी, उज्ज्वला पारख, सुजाता शहा, मीनल पारख, वर्षा छाजेड, स्वाती कटारिया, शिल्पा मुथा, वंदना वोरा, सपना जैन, निकिता जैन, नेहा भंडारी और राहुल भंडारी का समावेश रहा।
वर्धमान एज्युकेशन एण्ड रिसर्च इन्स्टिट्युट ने अपनी निरंतर प्रगति और उत्कृष्ट कार्य से प्राकृत एवं जैन स्टडीज को नई दिशा दी है। यह दीक्षांत समारोह न केवल विद्यार्थियों के जीवन में एक नया अध्याय जोड़ता है, बल्कि भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कारों की उज्ज्वल धारा को और समृद्ध करता है।
“हमारा उद्देश्य केवल डिग्री देना नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के भीतर ज्ञान, संस्कार और शोध की जिज्ञासा को प्रज्वलित करना है। आने वाले समय में हम प्राकृत एवं जैन स्टडीज को वैश्विक स्तर तक पहुँचाने के लिए और भी व्यापक योजनाओं पर कार्य करेंगे।” – विलास राठोड, सचिव, वर्धमान एज्युकेशन एण्ड रिसर्च इन्स्टिट्युट
“यह दीक्षांत समारोह हमारे विद्यार्थियों की मेहनत और समर्पण का उत्सव है। हमें गर्व है कि हमारी संस्था ने न केवल शिक्षा दी है, बल्कि जीवन मूल्यों और आध्यात्मिक चेतना को भी संजोने का कार्य किया है। – अर्चना लुणावत, मुख्य समन्वयक एवं ट्रस्टी
