महाराष्ट्र न्युज नेटवर्क : संकेत डुंगरवाल
पुणे : धर्म के नाम पर रूढ़िवादी परंपरा जो विकास में बाधक है थोपना सिद्धांतों के साथ खिलवाड़ करने के समान है ऐसा प्रतिपादन राष्ट्रसंत कमलमुनिजी कमलेश ने किया।
मुनि कमलेश ने बताया कि विश्व के किसी धर्म ग्रंथ के अंदर विधवा शब्द का उल्लेख नहीं है यह धार्मिकता पर कलंक और मानवता पर अभिशाप है। जन्म से लेकर मृत्यु तक नारी को भ्रूण हत्या दहेज सती प्रथा घूंघट प्रथा विधवा उसके साथ अब मानवीय अत्याचार सदियों से हो रहा है।
उन्होंने बताया कि पुरुष प्रधान मानसिकता नारी को दूसरे नंबर का दर्जा इन सब बुराइयों का मूल कारण है आगम में तो नारी को पूजनीय माना गया है। जिस घर में नारी की पूजा होती है देवता का निवास होता है राधेश्याम सीताराम इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।
जैन संत ने क्रांतिकारीआवाहन करते हुए कहा कि, विधवा शब्द इतिहास के पन्नों से समाप्त करके सौभाग्यवती से भी उसको ज्यादा पूजनीय सुकून समानता का प्यार का अधिकार नहीं मिलेगा तब तक हम चेन से नहीं बैठेंगे।
उपप्रवर्तनी महासती सत्य साधनाजी ने भाव विभोर होकर कहा की पहली बार वीरांगना का शब्द सुना और बहनों में जो स्वाभिमान की भावना जागृत हो रही है सारा श्रेय राष्ट्रसंतजी को है। उपप्रवर्तनी महासती चंदनबालाजी की शिष्या ने कहा कि, भगवान महावीर ने चंदनबाला का उद्धार किया मुनि कमलेश ने लाखों वीरांगनाओं का उद्धार किया।
पुणे की सकल जैन समाज एवं चंदनबाला स्वाध्याय मंडल सहित सभी महिला मंडल ने राष्ट्रसंत कमलमुनिजी कमलेश का अभिनंदन करते हुए आदर की चादर समर्पित की चरणों में संघ अध्यक्ष पोपटलाल ओस्तवाल, रमेश गूगले, मानिकचंद दुगड, पन्नालाल पीतलिया, गणेश ओसवाल, चंद्रकांत लूंकड, रामलाल संचेती, विजय भंडारी, सज्जनबाई बोथरा, कंचन कोठारी, सविता कर्नावट ने सभा को संबोधित किया। इस कार्यक्रम का आयोजन श्री वर्धमान श्वेतांबर स्थानकवासी जैन श्रावक संघ बिबवेवाडी इन्होने किया।
