महाराष्ट्र न्युज नेटवर्क : अभिजित डुंगरवाल
पुणे: मुमुक्षु भव्य कुमार सद्गुरु का सत्संग पाकर आध्यात्मिक जगत का स्थायी सुख पाने के लिए 21 जनवरी को मणि-लक्ष्मी जैन तीर्थ में संयम ग्रहण करेंगे।
मीरा आनंद सोसायटी जैन संघ पुणे में मुमुक्षु भव्य कुमार गुंदेशा (उम्र 14 वर्ष) की दीक्षा के अवसर पर तीन दिवसीय महोत्सव का आयोजन किया। इस अवसर पर पंन्यास राजरक्षितविजयजी, पंन्यास नयरक्षितविजयजी आदि साधु-साध्वीजी का संघ संघ में विधिवत मंगल प्रवेश हुआ। पं. राजरक्षितविजयजी ने कहा कि, संसार के सुख के लिए सतत प्रयत्नशील रहना ही मजदुर वृती है। सुखों की सहज स्वीकृति ही शिल्प कौशल है। साक्षीभाव से (दुःखो) पीड़ा को निष्पक्ष स्वीकृति कलाकार की प्रवृत्ति है। छोटे परिवार माता-पिता-भाई-बहन आदिको छोड़कर विश्व को एक परिवार मतलब चींटी से हाथी तक बनाना, छोटे से छोटे जीव की रक्षा करना, वचनबद्धता, सभी प्राणियों के कल्याण की भावना को साधु जीवन कहते हैं। दुनिया। जैन साधु केवल एक समुदाय का नहीं बल्कि संपूर्ण भोम (पृथ्वी) के होता है। करुणामूर्ति प्रभुवीर ने दीक्षा से एक वर्ष पहले वर्सीदान (388 करोड़ सोना) दान दिया था। उसी परंपरा के अनुसार दीक्षार्थी भव्य कुमार ने जरुरतमंद व्यक्ती को वर्षीदान किया।वॉचमन, लिफ्टमन मजदुर कोटुंबिक पुरुषो परिवार के लोग बड़ी संख्या में आये और किट प्राप्त की। तभी विशाल हॉल जय महावीर…जय महावीर से गूंज उठा। पूज्यश्री ने आशीष सहित सभी अजैनियों को तम्बाकू-शराब-जुआ-मांसाहार त्यागने के लिए प्रेरित किया।
