महाराष्ट्र न्युज नेटवर्क : अभिजित डुंगरवाल
पुणे: यदि माता-पिता अपने बच्चों को अच्छा-शुभ वातावरण दें, तो वे महान व्यक्ती या भगवान बन सकते हैं ऐसा प्रतिपादन प.राजरक्षितविजयजी ने किया।
श्री सुभाषनगर जैनसंध पूना कुंथुनाथ जिनालय से पं. राजरक्षितविजयजी पं.नयरक्षितविजयजी आदी चतुर्विध संघ बैंड बाजे के साथ चैत्यपरिपाटी लेकर श्री गोडीजी-चिंतामणि पार्श्वनाथ जिनालय मे पधारे। छोटे-छोटे बच्चे-युवा व बुजुर्ग ड्रेस कोड में शामिल होकर माहौल को भगवान की भक्ति में लीन कर दिया। पं.नयरक्षितविजयजी ने कहा कि जिसके हृदय में सद्गुरु का वास हो वह धन्यवाद के पात्र है। लेकिन सद्गुरु के हृदय में जो वास करता है वह धन्य हो जाता है। सुभाषनगर जैनसंघ की प्रेम, गुरुभक्ति, धार्मिक भक्ति और परमात्मा भक्ति को देखकर हृदय गदगद हो जाता है, जिससे ये मिलन हमारे दिलों में बस गया है। पं. राजरक्षितविजयजी ने कहा कि उत्तम कुल में जन्म लेने वाले बच्चे अधिकतर योगनिष्ठ-आत्मा होते हैं। पूर्वभव की अधूरी साधना को आगे बढ़ाने के लिए उनका जन्म एक कुलीन परिवार में हुआ है। अगर माता-पिता बच्चों को अच्छा माहौल (संस्कार)देते हैं तो वह महान या भगवान बनकर परिवार का नाम रोशन करते हैं। बच्चे दूध के समान होते हैं,इस दूध मे जामन मिलाकर दही-छाछ मक्खन-घी और मिठाइयों बना सकते है। लेकिन अगर दूध में तेजाब मिला दिया जाए तो दूध फट जाता है और उसे फेंकना पड़ता है। यदि बच्चों में अच्छे संस्कार डाले जाएं तो वे संत या सज्जन बनते हैं। प्रत्येक बच्चे को प्रभु पूजा और पाठशाला में अवश्य भेजना चाहिए। बच्चों अधिक लाड और भय में न रखें बल्कि उन्हें प्यार से जीतने का प्रयास करें। बुरी आदतों से बचने के लिए मोबाइल-टीवी चैनल-इंटरनेट आदि के नुकसान बताकर जागरूक करना चाहिए और माता-पिता को भी ऐसे उपकरण का उपयोग समझदारी से करना चाहिए। रविवार 21 जनवरी को सुबह 9:30 बजे राजस्थानी जैनसंध सोमवार पेठ में आर्ट ऑफ लिविंग पर सार्वजनिक व्याख्यान आयोजित है।