महाराष्ट्र न्यूज नेटवर्क : अभिजित डुंगरवाल
पुणे : जो दूसरों के दुख दूर करने का प्रयास करता है वही कलिकाल का मसीहा (भगवान) है ऐसा प्रतिपादन पं. राजरक्षितविजयी ने किया।
श्री राजगृही रेजीडेंसी कोंढवा पुणे में पंन्यास राजरक्षितविजयजी, पंन्यास नयरक्षितविजयी आदि पहुंचे तो श्रीसंघ ने उनका अक्षत से अभिनंदन किया। पं. राजरक्षितविजयजी ने कहा कि प्रभु महावीर स्वामीजी के 22 हजार देशना (प्रवचन) का सार एक वाक्य में कहें तो…हे मानव! मनुष्य बनो, साधु बनो, मोक्षे जाओ। मोक्ष तक जाने के लिए व्यक्ति को साधु बनना होगा। लेकिन साधु बनने से पहले सच्चा इंसान बनना बहुत जरूरी है। जीवन के धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक, पारिवारिक क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए पहले मनुष्य बनना होगा। आज सबसे बड़ा सूखा पानी, पेट्रोल, अनाज से ज्यादा सच्चे इंसान का है। बिना इन्सनीयत वाला डॉक्टर झूठी रिपोर्ट बनाकर मरीजों का शोषण करेंगे। वकील तारीख दर तारीख भारी फीस वसूलेंगे। भ्रष्ट मंत्री घोटालों-रंगदारी और दलबदल के जरिए अपनी तिजोरी में करोड़ों की संपत्ति भर लेंगे। उद्योगपती जहरीला वायु प्रदूषण और औद्योगिक कारखानों का प्रदूषण कई लोगों के जीवन को खतरे में डाल देगा। प्रकृति ने पशु-पक्षियों को क्षैतिज बनाया है लेकिन वे सीधे चलते हैं। यदि आप कुत्ते को रोटी देंगे तो वह दिन-रात घर की रखवाली करेगा। गाय को सूखी घास खिलाएं, इससे ताजा दूध मिलेगा। लेकिन मनुष्य ऊर्ध्वाधर (वर्टिकल) बना है लेकिन चलता क्षैतिज (टेडा) है। कुछ कपूतो जन्म देने वाले और संस्कार देने वाले माता-पिता को वृधाश्रम में रखते हैं,मारते भी है। कुछ पति अपनी पत्नियों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। ऐसे लोग दिखने में भले ही इंसान कहलाते हों लेकिन स्वभाव से जानवर होते हैं। सच्चा इंसान वही है जो दूसरों के दुखों को देखकर आखो से आसू बहने लगते है और राहत देता है। यथासंभव मदद करें. वह कलिकाल के मसीहा (भगवान) हैं जो दूसरों के दुख को दूर करने का प्रयास करते हैं।