महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : पंन्यास राजरक्षितविजयजी, पंन्यास नयरक्षितविजयजी आदि पुणे और भोर के युवाओं के साथ पुणे के शिंदेवाड़ी में सातारा रोड पर ग्रीनहिल वेलनेस सेंटर पहुंचे। संस्थान के मालिक डॉ. विनया पुंडे और स्टाफ ने गुरुजनों का स्वागत किया।
पं. नयरक्षितविजयजी ने कहा कि, आत्मा को महाशक्ति बनाने के लिए जितनी आवश्यकता साधनो की है, उससे कहीं अधिक आवश्यकता साधना की है। आधुनिक जीवनशैली ने मानव स्वास्थ्य पर भारी असर डाला है। धन कमाने की अंधी दौड़ के कारण न खाने की जगह, न सोने की जगह।
परिवार के साथ बैठने का समय नहीं है। इसलिए वे तनाव और अवसाद का शिकार हो जाते हैं। पैसा कमाने के लिए शरीर को नष्ट करना। शरीर को बेहतर बनाने के लिए पैसे बर्बाद कर रहे हैं। लेकिन पैसे खर्च करने के बावजूद भी शरीर की सेहत में सुधार नहीं होता है। यदि मनुष्य वास्तव में सुखी रहना चाहता है तो उसे चतुष्क जीवन में संतोष, सादगी, करकसर तथा आडंबर को त्यागना होगा।
पं. राजरक्षितविजयजी ने कहा कि, भोजन सात्विक होता है तो मन भी सात्विक होता है। जैसे ही खाना पेट में जाता है तो उसका दिमाग पर गहरा असर पड़ता है। तामसी भोजन से मन क्रोधी और झगड़ालू हो जाता है। जब जॉर्ज बरनार्ड शॉ ने मांस से पूरी तरह परहेज़ कर लिया, तो एक मित्र ने पूछा, श्रीमान बरनार्ड शो आपने नॉनवेज क्यों बंद कर दिया?
फिर उसने कहा, मेरा पेट कब्रिस्तान नहीं है या किसी जानवर की लाश अपने पेट में डालूं? आज का चिकित्सा विज्ञान भी यही कहता है कि हृदयाघात, मधुमेह, अल्सर, लकवा आदि शाकाहारियों में मांसाहारियों की तुलना में कम होते हैं।