महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : श्री वर्धमान जैन श्रावक संघ आकुर्डी-निगडी-प्राधिकरण के प्रांगण में 5 जुलाई को एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक क्षण साकार हुआ, जब उपप्रवर्तिनी “महाराष्ट्र सौरभ” प. पु. चंद्रकलाश्रीजी म. सा., “शासन-सूर्या” प. पु. स्नेहाश्रीजी म. सा. और मधुरगायिका प.पु. श्रुतप्रज्ञाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा-3 का चातुर्मासार्थ भव्य मंगलप्रवेश अत्यंत भक्तिपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ।
सुबह ठीक 9 बजे, “आदि विला” से शुभ शोभायात्रा का आरंभ हुआ। मार्ग भर जयकारों और नवकार मंत्रों की गूंज से वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर हो गया। संघ परिसर में गुरुमाओं का स्वागत पुष्प वर्षा और मंगलध्वनि के साथ किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ प. पु. म. सा. द्वारा मंगलाचरण और शास्त्र वाचन से हुआ।
इसके पश्चात प. पू. स्नेहाश्रीजी म.सा. के ओजस्वी वाणी से भरे उद्बोधन ने श्रोताओं के हृदय को झकझोर दिया। इस मंगल अवसर पर पिंपरी-चिंचवड़, पुणे, पाथर्डी, अहिल्यानगर, राजगुरुनगर समेत विभिन्न क्षेत्रों से सैकड़ों धर्मानुरागी, गणमान्य और संघों के पदाधिकारी उपस्थित थे।
कार्यक्रम के नवकारसी लाभार्थी श्रीकांत एवं मंगल नहार बने, जबकि चातुर्मास कालीन गौतम प्रसादी के लाभार्थी विकास, संतोष, संकेत लुंकड और प्रमिलाबाई साखला रहीं।
चातुर्मास समिति के अध्यक्ष बने संतोष कर्नावट, जबकि स्वागत समिति के अध्यक्ष मोतीलाल चोरडिया व देवेंद्र लुंकड ने आयोजन को सुचारु किया।
आयंबील तप के लाभार्थी मीराबाई लुणिया और विजय गांधी रहे। राजेंद्र मुथा, राजेंद्र सुरेश जैन, संतोष चंगेडिया व डॉ. विजय भलगट ने विशेष दानदाता के रूप में योगदान दिया।
इस विशाल आयोजन को सफल बनाने में महिला मंडल, बहु मंडल, युवा मंडल, बालिका मंडल तथा संघ के सभी वर्तमान और पूर्व पदाधिकारियों ने तन-मन-धन से योगदान दिया।
संघ अध्यक्ष सुभाष ललवानी ने प्रस्तावना में प. पु. म. सा. के प्रति श्रद्धा प्रकट की। राजेशकुमार सांकला की गणेश वंदना और अपने विचार साझा किए।
