कात्रज के आनंद दरबार में भव्य प्राणप्रतिष्ठा और शोभायात्रा संपन्न
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : आनंद दरबार, दत्तनगर कात्रज में भारतवर्ष में प्रथम बार राष्ट्रसंत आचार्य भगवंत प. पु आनंदऋषिजी म.सा. के 14 शुभचिन्ह युक्त ऊर्जा चरणों की विधिवत पूजा कर प्राणप्रतिष्ठा संपन्न हुई।
प. पू. आचार्य भगवंत श्री विरागसागर सुरीश्वरजी म. सा. और वात्सल्य मूर्ति प. पू. श्री इन्दुप्रभाजी म. सा. आदि ठाणा के पावन सान्निध्य में, किसनराव कामठे के निवास स्थान से आनंद दरबार तक ऊर्जा चरणों की भव्य शोभायात्रा (वरघोडा) निकाली गई।
ढोल-ताशों की गूंज, महिलाओं की पारंपरिक फुगड्या, बाल वारकरियों की दिंडी और टाळ-मृदंग की ताल से वातावरण मंगलमय बन गया। धर्मसभा में प. पू. विरागसागर सुरीश्वरजी म. सा. ने कहा, “आज से इस स्थान को आनंद तीर्थ कहिए, क्योंकि यहाँ गुरु के चरण स्थापित हुए हैं। यह भूमि अब पवित्र हो चुकी है।”
प. पू. इन्दुप्रभाजी म. सा. ने कहा, “महाराष्ट्र में गुरु भक्ति की महान परंपरा रही है। जैसे वैष्णव धर्म में पादुका पंढरपुर विठ्ठल दर्शन के लिए ले जाई जाती है, वैसे ही आनंद बाबाजी के भक्तों ने आनंद दरबार में ऊर्जा चरण स्थापित किए हैं। यह स्थान अब जैन धर्म का पंढरपुर बन गया है।”
इस ऐतिहासिक अवसर पर सुनील पारख, रमनलाल लुंकड, डॉ. सुमतिलाल लोढा, कमलाबाई कर्णावट, सुरेश डाकलिया, रविन्द्र नहार, रविन्द्र लुंकड, दत्तात्रेय कामठे, गणेश चोरडिया, अक्षय जैन, युवराज बेलदरे आदि अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे। इस पावन प्रसंग पर महाप्रसादी का लाभ सक्करबाई आलमचंद चोरडिया और जैन श्रावक संघ, वडगाव मावळ को प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रकाश बोरा, पारस धोका, संतोष भंडारी, सुयोग भंडारी, संतोष दुगड सहित आनंद दरबार के सभी सदस्य, युवा मंडल, महिला मंडल और बहू मंडल ने अथक प्रयास किए। कार्यक्रम का सूत्रसंचालन महेश लुंकड ने किया, जबकि आभार प्रदर्शन समिति अध्यक्ष उमेदमल धोका द्वारा किया गया।
“समय के अनुसार हमें भी परिवर्तन करना चाहिए। अगली पीढ़ी को प. पू. आनंदऋषिजी म. सा. की भक्ति और शक्ति का अनुभव हो, इस उद्देश्य से चरण कमल पादुकाओं की स्थापना की गई है।” – बाळासाहेब धोका, अध्यक्ष आनंद दरबार
