प. पू. प्रवीणऋषिजी म. सा. ने साझा की पालखी की स्मृतियां
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : परिवर्तन चातुर्मास 2025 के अंतर्गत आज वर्धमान सांस्कृतिक केंद्र, गंगाधाम (शत्रुंजय मंदिर रोड) में पूज्य आचार्य सम्राट आनंदऋषिजी म.सा. की ऐतिहासिक पालखी का आगमन अत्यंत धार्मिक एवं भावनात्मक वातावरण में सम्पन्न हुआ।
इस पालखी का इतिहास लगभग वर्ष 1980 के पूर्व का है, जब प्रसिद्ध उद्योगपति सुदर्शनजी बाफना ने परम पूज्य आचार्य सम्राट आनंदऋषिजी म.सा. के लिए एक लकड़ी की पालखी का निर्माण करवाया था। विहार यात्रा के दौरान संतजन इसे अपने कंधों पर उठाकर आचार्यश्री की सेवा करते थे।
प्रारंभिक पालखी भारी होने के कारण, सुदर्शनजी बाफना ने दूसरी हल्की पालखी अर्पण की, जो बाद में श्रीरामपुर स्थित बाफना परिवार के पास श्रद्धापूर्वक सुरक्षित रखी गई। अब जीर्णोद्धार के बाद यह पालखी आनंद तीर्थ, चिचोंडी में स्थायी दर्शन हेतु रखी जाएगी।
समारोह में पालखी का विधिवत स्वागत कर बाफना परिवार ने इसे परिवर्तन चातुर्मास कमिटी और आनंद तीर्थ फाउंडेशन को सौंपा। समारोह में प. पू. प्रवीणऋषिजी म.सा. ने इस पालखी के ऐतिहासिक महत्व और इससे जुड़ी स्मृतियां सभी के साथ साझा कीं, जिससे पूरा वातावरण आध्यात्मिक भावनाओं से ओत-प्रोत हो गया।
यह पालखी केवल पालखी नहीं है, बल्कि तप, सेवा और आचार्य सम्राट के पावन सान्निध्य की अनमोल धरोहर है। – अनिल नहार, अध्यक्ष, आदिनाथ संघ
हमारे परिवार के लिए यह पालखी एक भावनात्मक धरोहर है, जिसे दशकों से हमने आस्था और सम्मान के साथ सुरक्षित रखा है। आज इसे पुनः समाज को समर्पित करना हमारे लिए गर्व का क्षण है।” – विमल बाफना
जब यह पालखी बनाई गई थी, तब हमारा उद्देश्य केवल एक था, आचार्य सम्राट की सेवा को सहज बनाना। आज इसे पुनः भक्तों के दर्शनार्थ पाकर आत्मा संतोष से भर गई है।” – सुदर्शन बाफना
