महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : परिवर्तन चातुर्मास 2025 के अंतर्गत संवसरी महापर्व के दूसरे दिन पुणे शहर का वातावरण पूर्णतः आध्यात्मिक और भक्तिमय बना रहा। उपाध्याय प्रवर श्री प्रवीणऋषिजी म. सा. (आदि ठाणा-2), दक्षिणज्योति प. पू. श्री आदर्शज्योतिजी म. सा. (आदि ठाणा-3) तथा जिनशासन गौरव प. पू. श्री सुनंदाजी म. सा. (आदि ठाणा-6) के दिव्य सान्निध्य में आज का आयोजन अत्यंत मंगलमय रहा।
इस अवसर पर उपाध्याय प्रवर श्री प्रवीणऋषिजी म. सा. ने श्रद्धालुओं को प्रेरक संदेश देते हुए कहा : “संवसरी महापर्व आत्मशुद्धि और क्षमा का महान पर्व है। कम से कम इन आठ दिनों में हर श्रावक-श्राविका को प्रतिदिन प्रातः अंतगड़ सूत्र वाचन और सायंकाल प्रतिक्रमण करना अनिवार्य रूप से अपनाना चाहिए।
यह साधना न केवल आत्मा को शुद्ध करती है, बल्कि परिवार और समाज के बीच भी सामंजस्य व एकता का सेतु बनाती है।” आज संवसरी महापर्व के दूसरे दिन वर्धमान सांस्कृतिक केंद्र में श्रद्धालुओं का अभूतपूर्व सैलाब उमड़ा।
समाजबंधुओं ने पूरे परिवार सहित भक्ति और अनुशासन के साथ कार्यक्रम में सहभागिता निभाई। हजारों की उपस्थिति में वातावरण जयकारों और आध्यात्मिक ऊर्जा से गूंज उठा।
“संवसरी महापर्व हमें क्षमा, मैत्री और समर्पण का संदेश देता है। प्रवीणऋषीजी का मार्गदर्शन समाज को अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर करने वाला है।” – अनिल नहार, अध्यक्ष, आदिनाथ संघ
“गुरुदेवों के सान्निध्य में हो रहे ये आयोजन पुणे समाज की एकजुटता और अनुशासन का जीता-जागता उदाहरण हैं। यह पुणे का सौभाग्य है कि इतने दिव्य मुनिराजों का चातुर्मास यहां हो रहा है।” – सुनील नहार, अध्यक्ष, चातुर्मास समिति
“हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने इस पर्व को महोत्सव का रूप दिया। यह आयोजन समाज की शक्ति और संस्कृति की झलक है, जो पूरे देश के लिए प्रेरणादायी है।” – राजश्री पारख, अध्यक्ष, स्वागत समिति
