महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : रामानंद मिशन गुरुकुल और जगद्गुरु तुकोबाराय कीर्तन विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में, संस्थापक गुरु गणेश महाराज भगत के मार्गदर्शन में आनंद दरबार की पावन भूमि पर भव्य सर्वधर्म संत पूजन समारोह का आयोजन किया गया।
समारोह की शुरुआत गुरुकुल के 200 विद्यार्थियों द्वारा डॉ. विकास कशालकर की रचनाओं पर आधारित शास्त्रीय रागों और अभंगों के मधुर गायन से हुई, जिसने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। पुणेकरों ने कीर्तन, दिंडी, ताल और मृदंगम की गूंज में वारी के अद्भुत आनंद का अनुभव किया।
इस अवसर पर जैन साध्वी प. पू. डॉ. दर्शनप्रभाजी म. सा., जो वात्सल्य मूर्ति प. पू. इंदुप्रभाजी म. सा. की शिष्या हैं, इनको आगम ग्रंथों पर गहन अध्ययन और ज्ञान प्राप्ति के लिए “आगमवाणी” उपाधि से सम्मानित कर उनके साधुत्व की पूजा की गई।
अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में भारतीय शास्त्रीय संगीत और संत संगीत के प्रचार-प्रसार हेतु विख्यात गायक डॉ. विकास कशालकर को सरस्वती भूषण पुरस्कार प्रदान किया गया।
जगद्गुरु तुकाराम महाराज के अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त मंदिर का निर्माण और मराठवाड़ा में उनकी प्रतिकृति स्थापित करने वाले महंत महादेव महाराज बोराडे शास्त्री को जगद्गुरु सेवा भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इस भव्य समारोह की अध्यक्षता श्रीक्षेत्र आलंदी देवस्थान के मुख्य ट्रस्टी डॉ. भावार्थ देखने ने की। वारकरी संप्रदाय के वरिष्ठ कीर्तनकार माऊली महाराज जंगले, बबन महाराज चोरगे, जैन साध्वी वात्सल्य मूर्ति इंदुप्रभाजी म. सा., पं. पांडुरंग मुखड़े, गायक डॉ. संजय गरुड़, वारकरी महामंडल के प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा रांजणे, रामदास महाराज भगत, संभाजी महाराज कोद्रे, महाराष्ट्र शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सचिन डिंबले सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
इस समय प्रशांत निगड़े, देवीदास भगत, शुभांगी भगत, केशव धनगरे, युवराज बेलदरे, विशाल तांबे, बालाभाऊ धनकवड़े, व्यंकोजी खोपड़े, रायबा भोसले, रानीताई भोसले, अश्विनी भागवत, शंकरराव बेलदरे, अखिलेश राजगुरु, अशोक येनपुरे, कुलदीप कोंडे, नानासाहेब भिंताडे, प्रियंकाताई भोसले, कल्याणी मोर, दिलीप संचेती, प्रमोद राका, प्रकाश भटेवरा, सुनील भूरट और अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।
जगद्गुरु तुकोबाराय कीर्तन विश्वविद्यालय के प्राचार्य सचिन महाराज पवार ने सभी संत-महात्माओं का परिचय कराया। आनंद दरबार के संस्थापक अध्यक्ष बालासाहेब धोका ने उपस्थित श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का सफल संचालन राजेंद्र देवकर और चंद्रकला नागरकर ने किया।
