आचार्यों के सान्निध्य में मंगलमय आयोजन
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : पिंपरी चिंचवड जैन महासंघ की ओर से हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी सामूहिक क्षमापना एवं मैत्री दिवस कार्यक्रम भव्यता और श्रद्धा के साथ सम्पन्न हुआ। पिंपरी चिंचवड मूर्तिपूजक महासंघ के सहयोग से यह आयोजन निगडी प्राधिकरण स्थित खानदेश मित्र मंडळ सभागृह में उत्साहपूर्ण और मंगलमय वातावरण में आयोजित किया गया।
मंच पर आचार्य प. पू. अक्षयबोधीसूरीश्वरजी म.सा., आचार्य प. पू. गुप्तिनंदजी म.सा., आचार्य प. पू. महाबोधीसूरीश्वरजी म.सा., साध्वीजी प. पू. स्नेहाश्रीजी म.सा. एवं प. पू. रत्नकीर्तीजी म.सा. विराजमान थीं। प्रवचन देते हुए आचार्य गुप्तिनंदजी म.सा. ने कहा कि जैन धर्मशास्त्र में अपराध या भूल के लिए क्षमा मांगने और देने का विशेष महत्व बताया गया है।
क्षमायाचना जीवन में संबंधों को पुनर्स्थापित करने का सर्वोत्तम मार्ग है। जैन समाज की एकता समय की आवश्यकता है और क्षमा करना तथा क्षमा मांगना उसी का प्रतीक है। आचार्य अक्षयबोधीसूरीश्वरजी म.सा., महाबोधीसूरीश्वरजी म.सा. और साध्वी स्नेहाश्रीजी म.सा. ने भी क्षमापना का महत्व स्पष्ट करते हुए समाज को आह्वान किया कि संकट की घड़ी में और अन्यायपूर्ण निर्णयों के विरोध में जैन समाज को पूर्ववत् संगठित रहकर संघर्ष करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अहिंसा का अर्थ कायरता नहीं, बल्कि हिंसा करने वाले को हिंसा से रोकना भी अहिंसा का ही रूप है। प्रास्ताविक भाषण महासंघ के अध्यक्ष श्रेयस पगारिया ने दिया। स्वागत महामंत्री संदीप फुलफगर ने किया तथा क्षमापना संकल्प वाचन पूर्व अध्यक्ष उमेश पाटील ने किया।
आचार्य गुप्तिनंदजी म.सा. ने महासंघ के इस सतत उपक्रम की सराहना करते हुए अध्यक्ष श्रेयस पगारिया, सभी पदाधिकारियों और सहयोगियों को धन्यवाद दिया।
कार्यक्रम में महासंघ के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. अशोककुमार पगारिया, माजी अध्यक्ष अजित पाटील, नितीन बेदमुथा, विलास पगारिया, प्रो. प्रकाश कटारिया, सूर्यकांत मुथियान, विरेंद्र जैन सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे। आयोजन को सफल बनाने में विरेश छाजेड, श्रेणिक मंडलेचा, केतुल सोनिग्रा, कार्याध्यक्ष विजय भिलवडे, नेणसुखजी मांडोत, तुषार मुथा, स्नेहल भंडारी आदि ने विशेष योगदान दिया।















