कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गेहलोत के करकमलों से हुआ शुभारंभ
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : श्री गुरु अमर संयम अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर दक्षिण सूर्य ललित लेखक प. पू. डॉ. पंकजमुनिजी म. सा. के जीवन पर आधारित डॉक्युमेंट्री फिल्म का विमोचन कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गेहलोत के करकमलों से सम्पन्न हुआ। यह आयोजन गांधीनगर स्थित सरदार पटेल भाई भवन में भव्य रूप से संपन्न हुआ।
इस अवसर पर ऑल इंडिया कटारिया फाउंडेशन एवं श्री ऑल इंडिया जैन कॉन्फरन्स, नई दिल्ली की ओर से विशेष उपक्रम आयोजित किया गया। महामहोत्सव के निमित्त अमर शिष्य दक्षिण सूर्य ललित लेखक डॉ. वरुणमुनिजी गुरुदेव के 25 वर्षों की संयम जीवन यात्रा के अवसर पर सुरेखा कटारिया एवं डॉ. श्वेता राठौड़ द्वारा “अमर शिष्य डॉ. वरुण मुनिजी गुरुदेव की आध्यात्मिक जीवन यात्रा” शीर्षक से इस प्रेरणादायक डॉक्युमेंट्री शॉर्ट फिल्म का निर्माण किया गया।
इस फिल्म का विमोचन श्री ऑल इंडिया श्रवणांबर स्थानकवासी जैन कॉन्फरन्स एवं ऑल इंडिया कटारिया फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में श्री गुजराती वर्धमान श्रावक संघ, बेंगलुरु में आयोजित हुआ।
इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गेहलोत, सांसद लहरसिंह सिरीया जैन, आनंदमल छल्लानी, राजेश मेहता, ऑल इंडिया कटारिया फाउंडेशन बेंगलुरु के अध्यक्ष मिश्रीलाल कटारिया, जमनादास कटारिया, कमला मेहता, स्वानंद अध्यक्ष शोभा बंब तथा ऑल इंडिया जैन कॉन्फरन्स पुणे जिला अध्यक्ष एवं डॉक्युमेंट्री फिल्म के लाभार्थी प्रकाश कटारिया सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में गुरुभगवंतों के सान्निध्य में भक्ति और आनंद का वातावरण निर्मित हुआ। इसी अवसर पर उपप्रवर्तक प. पू. पंकजमुनिजी म. सा. को “राष्ट्रसंत” की उपाधि से एवं प. पू. ललित लेखक दक्षिण सूर्य डॉ. वरुणमुनिजी म. सा. को “युवा भारत गौरव” सम्मान से कर्नाटक के राज्यपाल द्वारा अलंकृत किया गया।
सभागृह में उपस्थित साधु-संत, श्रावक-श्राविकाओं ने जय-जयकार करते हुए इस गौरवपूर्ण क्षण का स्वागत किया। राज्यपाल थावरचंद गेहलोत ने अपने उद्बोधन में कहा कि, “जैन समाज और उसके साधु-संत राष्ट्र निर्माण एवं आध्यात्मिक उत्थान हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।
उनके त्याग, संयम और सेवा भाव से समाज में शांति और सद्भाव का संदेश प्रसारित हो रहा है। इसी प्रेरणा से हमने ‘राष्ट्रसंत’ और ‘युवा भारत गौरव’ जैसी उपाधियों से उनका सम्मान किया है।” कार्यक्रम में चारों संप्रदायों के साधु-संतों, श्रावक-श्राविकाओं एवं समाजसेवियों की भव्य उपस्थिति रही।
इस आयोजन ने जैन समाज की आध्यात्मिक परंपरा और सेवा भावना को नए आयाम प्रदान किए।















