महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : आकुर्डी-निगडी-प्राधिकरण के प्रांगण में चातुर्मासार्थ उपाध्याय प. पु. पुष्करमुनीजी म.सा. की सुशिष्या प.पु. डॉ. राजश्रीजी म.सा,प.पु. डॉ. मेघाश्रीजी म .सा, प. पु. साध्वी समिक्षाश्रीजी म.सा. एवं प. पु. जिनआज्ञाश्रीजी म.सा आदि ठाणा का चातुर्मास प्रारंभ हुआ है।
आज चातुर्मास शुभारंभ के प्रवचन मे महासाध्वीयो ने अपने विचारो से धर्म सभा को उद्भोदित किया। “धर्म, ध्यान, आराधना जिनकी है पुनवाणी, वही सुनते है जिनवाणी” ऐसा संदेश तीर्थंकर देते है, आदेश आचार्य देते हैं और उपदेश गुरुभगवंत फर्माते है।
Remembering, Rethinking, Recharging, Returning और Refresh इन पंचसूत्रि का अंगीकार कर अपना जीवन सुंदर बनाने का एहलान कर चातुर्मास काल मे नियमित रुपसे स्थानक भवन मे आकर धर्म आराधना का संदेश महासतीयों ने दिया।
“धर्म चक्र” आराधना अंतर्गत १ तेला और ४२ बेले की आराधना संघ के अंदर हो रही है। चातुर्मास प्रांरंभ प्रथम दिन पर पधारे धर्म प्रेमियों का स्वागत संघाध्यक्ष सुभाष ललवाणी ने किया। सूत्रसंचलन शारदा चोरडीया इन्होंने किया।
