महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ वड़गावशेरी पुणे के तत्वाधान में आयोजित महावीर प्रवचनमाला के अंतर्गत साध्वी प. पू. चन्दनाजी म.सा. ने कहा की, चातुर्मास आराधना का पर्व है। चातुर्मास आत्मा निरक्षन का पर्व है।
चातुर्मास जिने और जगाने का पर्व है। दुनिया में अगर सबसे बड़ा कोई पर्व है, वह चातुर्मास है। १२० दिन के चातुर्मास में हम संतो का संघ करें, संतो का संग जीवन बदल देता है। जीवन का रंग संतो के संघ से जीने का ढंग बदल देता है। साध्वी जी ने कहा की, कपड़ों की धुलाई के लिए साबुन जरूरी है, घर की स्वच्छता के लिए झाडू जरुरी है, बर्तन के लिए वीम जरूरी है, जीवन की शुद्धि के लिए चातुर्मास जरूरी है।
साध्वी प. पू. डॉ. अक्षयज्योतिजी म. सा. ने कहा, महाराष्ट्र की धरती शब्दों की भूमि रही है। जिस धरती पर बाबा आनंद, नामदेव, तुकाराम, ज्ञानेश्वर जैसे संत हुऐ हे। यह धरती अर्चना की है, पूजन की है। इस धरती की माटी को नमन करें।
साध्वी जी ने कहा, आदर्श लुफ्त होते हुवे, धार्मिक परम्परा टूटे हुए, आज बिखरते हुए परिवार यह सारी समस्या है। उन समस्या का समाधान धर्मस्थान धर्म के मेले से सजता रहे। चातुर्मास जीवन के लिए प्रेरणा है। सूत्रसंचालन हर्षद दुगड ने किया। शान्तिलाल बोहरा ने भक्तिगीतद्वारा कार्यक्रम की पूर्णाहुति की ।
