महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : बिबवेवाडी जैन स्थानक में डॉ. प. पू. श्री ज्ञानप्रभाजी म. सा. इनकी सुशिष्या प.पू. श्री पुष्पचुलाजी म.सा., प.पू. श्री सुप्रियादर्शनाजी म.सा., प.पू. श्री नियमदर्शनाजी म.सा., प.पू. श्री प्रियलदर्शनाजी म.सा., प.पू. श्री अंशुश्रीजी म.सा. आदि ठाणा 5 के पावन सान्निध्य में गुरुपौर्णिमानिमित्त विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था।
गुरुपोर्णिमा के दिन रविवार को सुबह 8.15 से सामुहिक 108 भक्तामर जाप एवं आदिनाथ भक्ति आराधना का शुभारंभ प्रमोद दुगड परिवार की ओर से कलश स्थापना करके हुवा। प. पू. श्री सुप्रियादर्शनाजी म. सा. ने गुरुपौर्णिमा के दिन अपने प्रवचन में कहा की, गुरु बिना जीवन शुरू नहीं होता है।
गुरु किसे कहते है? संसार में ज्ञान देने वाले विद्वान बहोत है, परंतु जो ज्ञान के शिखर पर पहुंचा दे वो गुरु होते है। जीवन में ज्ञान की पूर्णता प्रदान करे वो गुरु होते हैं। माँ बाप तो जन्म देते है पर गुरु जीवन जीने के लक्ष्य तक पंहुंचाते है।
तत्पश्चात श्रुत बहुमंडल के कपल ने गुरुपुर्णिमा पर विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम सादर किया और गुरु के चरणों में त्याग पचकाण की भेंट समर्पित की। दोपहर में बालक-बालिकाओं का धार्मिक संस्कार शिबीर का शुभारंभ हुवा।
इसे बच्चों का अच्छा प्रतिसाद मिला। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए बिबवेवाडी जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष पोपटलाल ओस्तवाल, माणिक दुगड़, रमेशलाल गूगळे, गणेश ओसवाल, अविनाश कोठारी, लालचंद कर्नावट, चंद्रकांत लुंकड, सुभाष बाफना, चंपालाल नहार, संपतलाल भटेवरा, रविन्द्र दुगड़, किर्तिराज दुगड़, अशोक नहार, प्रकाश गांधी इन्होने परिश्रम लिए।