14 फरवरी को भव्य दीक्षा महोत्सव
महाराष्ट्र जैन वार्ता
वडगांव मावल : मुमुक्षु शिवम संदीपजी बाफना के पावन दीक्षा महोत्सव की शुभ शुरुआत कुमकुम तिलक की रस्म के साथ हुई। यह मांगलिक अवसर युवाचार्य महेंद्रऋषिजी म.सा., उपप्रवर्तक अक्षयऋषिजी म.सा., बरसादाता गौतममुनिजी म.सा. आदि ठाणा की दिव्य उपस्थिति में संपन्न हुआ।
इस अवसर पर उपप्रवर्तिनी प. पु. प्रियदर्शनाजी म. सा., महाराष्ट्र प्रवर्तिनी प. पु. प्रतिभाजी म. सा., प. पु. सुप्रभाजी म. सा., प. पु. सत्यसाधनाजी म. सा., प. पु. सुमनप्रभाजी म. सा., प. पु. चंदनबालाजी म. सा., प. पु. ज्ञानप्रभाजी म. सा., प. पु. दिव्यज्योतिजी म. सा., प. पु. कुमुदलताजी म. सा.,प. पु. चारूप्रज्ञाजी म. सा., प. पु. संयकदर्शनाजी म. सा., प. पु. अनंतज्योतिजी म. सा., प. पु. सफलदर्शनाजी म. सा., प. पु. सुयशाजी म. सा., प. पु. सौरभसुधाजी म. सा. सहित 100 से अधिक साधु-साध्वियों की पावन उपस्थिति रही।
सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति में मुमुक्षु शिवमजी बाफना के माता-पिता और श्रीसंघ वडगांव मावल द्वारा कुमकुम तिलक की रस्म निभाई गई।
इस दौरान युवाचार्य प.पु. महेंद्रऋषिजी म.सा. ने कुमकुम तिलक के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का एक अहम हिस्सा है।
उन्होंने बताया कि कुमकुम तिलक शुभता, सकारात्मकता और संस्कारों की निरंतरता का प्रतीक है, जो आत्मिक शुद्धता और ईश्वर से जुड़ने का मार्ग प्रशस्त करता है।
मुमुक्षु शिवम संदीपजी बाफना की दीक्षा यात्रा के अगले पड़ाव में 13 फरवरी को गुरुभगवंतों के सानिध्य में केसर छाटना की रस्म होगी, जो अत्यंत शुभ और मांगलिक आयोजन होगा।
इसके उपरांत 14 फरवरी को एक भव्य समारोह में युवाचार्यश्री मुमुक्षु शिवमजी को दीक्षा प्रदान करेंगे, जिससे वे सांसारिक जीवन का त्याग कर आध्यात्मिक पथ की ओर अग्रसर होंगे।
यह दीक्षा महोत्सव संपूर्ण जैन समाज के लिए एक गौरवपूर्ण और प्रेरणादायी अवसर है। श्रीसंघ वडगांव मावल इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए सभी श्रद्धालुओं को आमंत्रित करता है।
