पुणे में हुआ भव्य आयोजन, देश–विदेश के 35 से अधिक शोधार्थियों ने रखे विचार
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : वर्धमान एजुकेशन एण्ड रिसर्च इन्स्टिट्यूट, पुणे, विश्वकर्मा विश्वविद्यालय, पुणे तथा हिराचंद नेमचंद जैन अध्यासन, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में “जैन विद्या के विविध आयाम” विषय पर आधारित द्विदिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 16 व 17 मई 2025 को पुणे में भव्य रूप से संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ जैन राष्ट्रगान एवं संजोत संजो द्वारा किए गए मंगलाचरण के साथ हुआ। उद्घाटन सत्र में पद्मभूषण पूज्य आचार्य श्री चंदनाश्रीजी म.सा. एवं पू. पू. शिलापीजी म.सा. के पावन आशीर्वचन प्राप्त हुए।
संगोष्ठी की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध जैन विद्वान एवं मुख्य वक्ता डॉ. बिपिन दोशी ने की। प्रमुख अतिथियों में डॉ. कल्याण गंगवाल एवं डॉ. संजय सोनवणी जैसे विद्वान उपस्थित रहे। संगोष्ठी की रूपरेखा प्रो. डॉ. कमलकुमार जैन ने प्रस्तुत की, जबकि संस्था की जानकारी विलास राठोड ने दी।
इस दो दिवसीय संगोष्ठी में भारत और विदेश से पधारे 35 से अधिक शोधार्थियों ने जैन दर्शन, प्राकृत भाषा, कर्म सिद्धांत, ध्यान, विज्ञान, साहित्य, कृषि और अर्थशास्त्र जैसे विविध विषयों पर अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए।
इन शोध सत्रों की अध्यक्षता प्रो. डॉ. महावीर शास्त्री, डॉ. श्रीनेत्र पांडे, डॉ. तृप्ति जैन, डॉ. राजश्री मोहाडीकर, डॉ. सुषमा रोटे सहित कई वरिष्ठ विद्वानों ने की और शोधार्थियों को महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान किया।
संगोष्ठी के रात्रिकालीन सत्र में डॉ. तृप्ति जैन ने “अनुसंधान एवं शोध संभावनाएँ” विषय पर सभी छात्रों का विशेष मार्गदर्शन किया। इस संगोष्ठी में वर्धमान एजुकेशन की अध्यक्षा मधुबाला चोरडिया, उपाध्यक्ष विमल बाफना सहित ट्रस्ट के अन्य सदस्य, उद्योजक सुहाना मसालेवाले राजकुमार चोरडिया, जितो के अध्यक्ष इंदर छाजेड सहित अनेक गणमान्य अतिथि एवं बी.ए. तथा एम.ए. प्राकृत एवं जैन स्टडीज के 125 से भी अधिक विद्यार्थी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. महेश देसाई ने किया, जबकि आभार प्रदर्शन अर्चना लुणावत ने किया। इस संगोष्ठी ने यह स्पष्ट किया कि जैन विद्या एवं प्राकृत भाषा आज भी वैश्विक स्तर पर अध्ययन व अनुसंधान के अत्यंत महत्वपूर्ण विषय बने हुए हैं, जिन पर भविष्य में और अधिक शोध किए जाने की आवश्यकता है।
