महाराष्ट्र जैन वार्ता
इस वर्ष का चातुर्मास आंतरिक परिवर्तन लाने वाला और एक नई दृष्टि देने वाला साबित हो, ऐसा प्रतिपादन प.पू. श्री प्रवीणऋषिजी म.सा. ने किया। श्री आदिनाथ स्थानकवासी ट्रस्ट की ओर से आयोजित परिवर्तन चातुर्मास 2025 का मंगल प्रवेश 6 जुलाई को भव्य शोभायात्रा के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर मार्गदर्शन करते हुए प.पू. श्री प्रवीणऋषिजी म.सा. ने कहा, “मैं आनंद का हूं, आनंद मेरा है”। यह जीवन का स्थायी भाव बनना चाहिए। इस वर्ष चातुर्मास का विषय ही “परिवर्तन” है, इसलिए यह कालखंड हमारे जीवन में एक सकारात्मक बदलाव लाने वाला होगा। जब हम सब एक साथ आते हैं, तो सब कुछ संभव होता है। यही परिवर्तन की सोच है। पुणे में जो अद्भुत प्रतिसाद मिला, वह अत्यंत विलक्षण और मन को संतोष देने वाला है।
अपने प्रवचन में उन्होंने महाभारत का उदाहरण देते हुए कहा, “जब दुर्योधन श्रीकृष्ण के पास गया, तब श्रीकृष्ण ने दो विकल्प रखे एक ओर संपूर्ण यादव सेना, और दूसरी ओर स्वयं श्रीकृष्ण, लेकिन बिना अस्त्र-शस्त्र के। दुर्योधन ने सेना चुनी और अर्जुन ने श्रीकृष्ण को।
भगवान जिसके साथ होते हैं, उसकी विजय निश्चित होती है। मैंने भी तुम्हें चुना है। मुझे सत्ता, सम्मान, संपत्ति नहीं चाहिए, मुझे तुम चाहिए।” पुणे को लेकर प.पू. श्री प्रवीणऋषिजी म.सा. ने भावुक कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा, “पुणे और मेरा संबंध बहुत ही आत्मीय है।
भले ही मेरा जन्म और दीक्षा कहीं और हुई हो, लेकिन मेरे स्वप्नों की जन्मभूमि पुणे ही है। मेरे जीवन की अनेक महत्वपूर्ण घटनाओं में पुणे की बड़ी भूमिका रही है। आनंदतीर्थ, अर्हम् विज्जा, गुरू आनंद फाउंडेशन इन सभी की शुरुआत पुणे से ही हुई है। इसलिए पुणे का यह चातुर्मास वास्तव में ‘परिवर्तन चातुर्मास’ है।
उन्होंने आगे कहा, “पुणे में अपार क्षमता है। यह संतों, विचारकों, छत्रपति शिवाजी महाराज की भूमि है। यह वह भूमि है जो शत्रुओं का सामना करती है, यह संस्कृति और परिवर्तन की भूमि है। इसी पुण्यभूमि पर आंतरिक बदलाव संभव है।
मुझे पुणे से बहुत अपेक्षाएं हैं। पुणे ने जो उत्साह दिखाया है, उसके लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। इस चातुर्मास से हम सबको एक नई दृष्टि मिले और हम अध्यात्म के मार्ग पर आगे बढ़ें।” समापन करते हुए उन्होंने कहा, “आज की युवा पीढ़ी जिस दिशा में बढ़ रही है, वह विनाश की ओर है।
उन्हें समय रहते रोकना जरूरी है, और इसका उपाय है ‘अर्हम् मंत्र दीक्षा’। इसके माध्यम से हमारी युवा पीढ़ी निश्चित ही सही मार्ग पर आ सकेगी।”
















