महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : गुरु को आप पर गर्व हो ऐसा शिष्य बनने का प्रयास करें। इसके लिए आगामी चार महीने संकल्प के महीने हैं – यह ध्यान में रखते हुए अपने भीतर अच्छे परिवर्तन लाएं। अपने जीवन में जो भी अच्छा कार्य करें, धर्मकार्य करें, वह पूरे आनंद और उत्साह के साथ करें और अपने जीवन को एक उत्सव बनाएं, ऐसा पावन मार्गदर्शन प. पू. प्रवीणऋषिजी म. सा. ने परिवर्तन 2025 चातुर्मास प्रवचनमाला में किया।
उन्होंने आगे कहा – हम बहुत से सपने देखते हैं, लेकिन उन्हें साकार नहीं कर पाते। अब ज़रूरत है, उन सपनों को सच्चाई में कैसे बदलें, इस पर ध्यान देने की। दूसरों की छवि की पूजा करने वाला व्यक्ति खुद की ही ठगी करता है, लेकिन जो अपनी छवि के साथ जीता है, वह सिद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ता है।
आने वाले चार महीनों में आत्म-परिवर्तन कैसे संभव होगा – इस पर ध्यान दें। ज्ञानार्जन को लक्ष्य बनाएं। नित्य स्वाध्याय की संकल्पना बहुत महत्वपूर्ण है, उसे अपने जीवन में उतारने का प्रयास करें।
दूसरा संकल्प हो – श्रद्धा का। भावना, भक्ति, समर्पण, कृतज्ञता – ये गुण मुझमें कैसे विकसित हों, यह देखने का प्रयास करें। जिन्होंने हमारे लिए अच्छा किया है, उनके प्रति कृतज्ञ रहें।
मन में कभी अमंगल भावना न आने देने का संकल्प करें। दूसरों पर दोषारोपण करना – यह स्वयं के दुर्भाग्य को आमंत्रण देने जैसा है, इसे समझें।
व्यावहारिक जीवन में कैसा व्यवहार करना है, इसका भी संकल्प लें। अपने ही स्वास्थ्य के शत्रु न बनें – बाहर का खाना न खाएं, ओवन में गर्म किया गया भोजन न लें। जब भी ज्ञान या भक्ति करें, उसे उतरे हुए चेहरे से नहीं, बल्कि हर्ष और श्रद्धा से करें। जो भी धर्मकार्य करें, उसे मन से करें। दिखावा न करें, लेकिन उसका आत्मिक आनंद अवश्य लें। यही प्रयास आपके अंतराय कर्मों को मिटाने में सहायक होगा। अधिक से अधिक लोगों को धर्म से जोड़ने का प्रयास करें।
