‘हर घर अठ्ठाई’ संकल्प से पुणे समाज ने रचा संयम और श्रद्धा का नया इतिहास
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : परिवर्तन चातुर्मास २०२५ के अंतर्गत पुणे नगरी जैन तप, संयम और साधना की अद्वितीय ऊर्जा से भर गई है। वर्धमान सांस्कृतिक केंद्र, गंगाधाम परिसर में आयोजित गुरु आनंद अठ्ठाई महोत्सव के अंतर्गत २१०० श्रद्धालुओं द्वारा लिया गया अठ्ठाई व्रत २५ जुलाई २०२५ को सफलतापूर्वक पूर्ण हुआ। ‘हर घर अठ्ठाई – मेरे घर अठ्ठाई’ इस संकल्प के माध्यम से पुणे ने तपोभूमि के रूप में अपनी प्रतिष्ठा स्थापित की है।
इस ऐतिहासिक तपोत्सव को पावनता और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त हुई प. पू. गुरुभगवंतों के दिव्य सान्निध्य से, जिसके चलते यह आयोजन केवल पुणे तक सीमित न रहकर सम्पूर्ण भारत के जैन समाज के लिए प्रेरणा बन गया है।
इस महोत्सव की प्रस्तावना पुणे में सम्पन्न सव्वा करोड़ नवकार महामंत्र जाप जैसे भव्य अनुष्ठान से हुई थी। यह आराधना अब २१०० अठ्ठाई व्रतों की परिपूर्णता के शिखर पर पहुँची है। एक ही दिन, एक ही समय पर इतने बड़े स्तर पर व्रत पूर्ण करना पुणे में संयम, श्रद्धा और समर्पण का अनुपम उदाहरण बन गया है।
यह आयोजन केवल एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि पुणे को आराधना का तीर्थक्षेत्र बनाने वाली चैतन्य लहर का उत्सव सिद्ध हुआ है। इस आयोजन का संपूर्ण संचालन श्री आदिनाथ स्थानकवासी जैन भवन ट्रस्ट – पुणे एवं उपाध्याय प. पू. श्री प्रवीणऋषिजी म. सा. चातुर्मास समिति २०२५ के संयुक्त मार्गदर्शन में हुआ। इन्हीं के संयोजन से यह महासंकल्प अपने आध्यात्मिक शिखर तक पहुँच सका।
पुणे समाज द्वारा लिया गया अठ्ठाई व्रतों का यह सामूहिक संकल्प आत्मजागृति और भक्ति की विलक्षण अभिव्यक्ति है। ऐसी ऐतिहासिक घटना का साक्षी बनना पुणे का सौभाग्य है। – अनिल नहार, अध्यक्ष, आदिनाथ संघ
गुरुचरणों में श्रद्धा रखते हुए हजारों श्रद्धालुओं द्वारा लिया गया अठ्ठाई व्रत संकल्प पुणे की आध्यात्मिक महानता का प्रतीक है। यह केवल आराधना नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि का एक जागरण है। – सुनील नहार, अध्यक्ष, चातुर्मास समिति
गुरु आनंद अठ्ठाई महोत्सव हर जैन परिवार की श्रद्धा और संस्कारों का गौरव है। इस आराधना ने समाज में नवचेतना और नया प्रकाश उत्पन्न किया है। – राजश्री पारख, अध्यक्ष, स्वागत समिति
मंगलमय सान्निध्य
प. पू. आचार्य भगवंत विजयलब्धिप्रभ सूरीश्वरजी म. सा.
प. पू. आचार्य श्री विरागसागर सूरीश्वरजी म. सा. (आदि ठाणा-३)
प. पू. आचार्य श्री गुप्तीनंदीजी गुरुदेव म. सा. (आदि ठाणा-३)
प. पू. जे.पी. गुरुदेव म. सा.
उपाध्याय प. पू. श्री प्रवीणऋषिजी म. सा.(आदि ठाणा २)
उपप्रवर्तक प. पू. श्री तारकऋषिजी म. सा. (आदि ठाणा ४)
युवा तपस्वी प. पू. श्री मुकेशमुनीजी म. सा. (आदि ठाणा ४)
तपस्वी प. पू. श्री आगमचंद्रजी स्वामी म. सा. (आदि ठाणा ३)
दक्षिणज्योती प. पू.डॉ.श्री आदर्शज्योतीजी म.सा. (आदि ठाणा ३)
जिनशासन गौरव प. पू. श्री सुनंदाजी म.सा. (आदि ठाणा ६)
जिनशासन प्रभाविका प. पू. श्री चैतन्यश्रीजी म. सा. (आदि ठाणा ४)
