२१०० अठाई व्रतों का दिव्य समापन, प्रवीणऋषिजी म. सा. के सान्निध्य में साधना को मिला पूर्णत्व
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : परिवर्तन चातुर्मास २०२५ के अंतर्गत, २६ जुलाई को वर्धमान संस्कृती केंद्र, गंगाधाम परिसर में भव्य पारणा महोत्सव का आयोजन संपन्न हुआ। प.पू.उपाध्याय श्री प्रवीणऋषिजी म.सा. के पावन सान्निध्य में हुए इस आयोजन में अनेक जिन तपस्वियों ने अपनी तपस्या पूर्ण कर तप की ऊर्जा और संयम की साधना का दिव्य संदेश दिया।
रु आनंद अठाई महोत्सव के आठवें दिवस पर पुणे समाज के अनेक श्रद्धालुओं ने विविध तपों का आरंभ किया था। बीते अनेक दिवसों से जारी इन तपस्याओं का पुण्य संकल्प आज पारणा के रूप में पूर्णत्व को प्राप्त हुआ।
गुरुदेव श्री प्रवीणऋषिजी म.सा. ने स्वयं सभी तपस्वियों की तप की गणना और साधना के दिन गिनकर क्रमानुसार भव्य पारणा की व्यवस्था की। तपस्वियों को सातानुसार पारणा कराने की यह गुरु-व्यवस्था पुणे समाज के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण बन गई।
संपूर्ण वातावरण में एक आध्यात्मिक चेतना, संयम का गौरव और गुरुभक्ति का भाव परिपूर्ण था। पुणे नगरी एक बार पुनः तपोभूमि सिद्ध हुई, जहाँ हर तपस्वी को उनके संयम का पुण्यप्रतिफल पारणा के माध्यम से प्राप्त हुआ।
२१०० अठाई व्रतों के पश्चात पुणे में जिस भव्यता से पारणा महोत्सव मनाया गया, वह समाज की एकजुटता, श्रद्धा और गुरुभक्ति का प्रतीक है। यह पुणे को तप की राजधानी बनाता है। – अनिल नहार, अध्यक्ष, आदिनाथ संघ
गुरुभगवंतों के पावन सान्निध्य में संपन्न हुआ यह पारणा महोत्सव पुणे समाज के लिए सौभाग्य का क्षण है। यह आयोजन केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि तप और त्याग की जीवंत अभिव्यक्ति है। – सुनील नहार, अध्यक्ष, चातुर्मास समिति
हर तपस्वी के चेहरे पर गुरु कृपा से खिला तेज और संतोष का भाव दिखाई दे रहा था। यह पारणा महोत्सव समाज के लिए प्रेरणा और आराधना का अमूल्य पर्व बन गया है। – राजश्री पारख, अध्यक्ष, स्वागत समिति
