महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : मनुष्य वही होता है, जो अपने इच्छित लक्ष्य तक पहुँचने के लिए चलता है। साधक साधना के लिए चलता है, कोई भक्त भक्ति के लिए चलता है, और विद्यार्थी वही होता है, जो ज्ञान की तलाश में चलता है। इसलिए, जब भी मैं कोई क्रिया करने जा रहा हूँ, तो उसके लिए, हे प्रभु, मुझे आपकी आज्ञा चाहिए ऐसा पावन प्रतिपादन प. पू. प्रवीणऋषिजी म. सा. ने किया। वे परिवर्तन चातुर्मास 2025 में आयोजित प्रवचनमाला में संबोधित कर रहे थे।
प. पू. प्रवीणऋषिजी म. सा. ने कहा, जो आज्ञा लेकर कार्य करता है, वही आराधक होता है। आज्ञा ग्रहण करना क्या गुलामी है? या फिर आज्ञा में जीना कोई गूढ़ रहस्य है? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा, आज्ञा में एक गुप्त शक्ति छिपी होती है। सामान्य मनुष्य की शक्ति सुप्त रूप में होती है, लेकिन प्रभु या गुरु के पास जो शक्ति होती है, वह सर्वव्यापी, प्रकाशमान और प्रभावशाली होती है।
अगर हमें वह शक्ति प्राप्त करनी है, तो उनकी आज्ञा का पालन करना अनिवार्य होता है। क्योंकि आज्ञा देने वाला सदा अपने आज्ञा-पालन करने वाले को अपनी शक्ति प्रदान करता है। इसलिए आज्ञा का सही अर्थ है – परमेश्वर के साथ एकरूप हो जाना, उसकी शक्ति से जुड़ जाना। जो कार्य आज्ञा के बिना होता है, उसमें वह दिव्य शक्ति समाहित नहीं होती।
अगर हम आज्ञा, मार्गदर्शन और आशीर्वाद इन तीनों तत्वों को अपने भीतर समाहित कर लें, तो वह ऊर्जा हमारे अंदर प्रकट हो जाती है।वह ऊर्जा अनंत होती है। इसलिए आज्ञा का पालन करते समय सजग रहना और हर क्रिया को जागरूकता के साथ करना आवश्यक है।
हर कार्य के पीछे हमारा उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए। अगर विचारों में स्पष्टता नहीं है और कर्म में प्रयोजन नहीं है, तो वह कर्म व्यर्थ हो जाता है। इसलिए जो कार्य करना है, उसके बारे में पहले अपने आप से संवाद करें। कैसे करना है, क्यों करना है यह स्वयं से स्पष्ट करें। इसके लिए आत्मनिरीक्षण करना अत्यंत आवश्यक है।
मान लीजिए, मैं क्यों और किसलिए चल रहा हूँ क्योंकि मुझे अपने लक्षित स्थान पर पहुँचना है। मैं क्यों और किसलिए बैठा हूँ क्योंकि मुझे आत्मशुद्धि करनी है। यह सजगता हमेशा बनी रहनी चाहिए।
प. पू. प्रवीणऋषिजी म. सा. ने कहा यदि हमारी दृष्टि के सामने कोई लक्ष्य ही नहीं है, तो आत्मा निष्क्रिय हो जाती है। लेकिन जब हम लक्ष्य तय कर लेते हैं, तो उसे प्राप्त करने हेतु आत्मा पूरी तरह जागृत हो जाती है। इसलिए हमें एक आदत डालनी चाहिए कोई भी क्रिया करने से पहले उसका लक्ष्य तय कर लेना चाहिए।
