महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : हमारे समाज में लोगों के, इतिहास के, युद्ध के, जन्म और मृत्यु के भी उत्सव मनाए जाते हैं, लेकिन वैचारिक मूल्यों का उत्सव नहीं मनाया जाता। क्षमा, संयम, तप जैसे मूल्यों का महत्व आदिकाल से है। इसलिए इस पर्युषण पर्व में इन मूल्यों का महोत्सव मनाएं, ऐसा आवाहन प.पू. प्रवीणऋषीजी म.सा. इन्होंने किया है।
प.पू. प्रवीणऋषीजी म.सा. ने कहा कि क्षमा सर्वोच्च मूल्य है। क्षमा मांगना या क्षमा करना कोई मजबूरी नहीं होती। इसलिए इस पर्व में अपने घर, दुकान, कार्यालय, उद्योग, स्कूल, कॉलेज जैसे सभी स्थानों पर अष्टमंगल की स्थापना करके उत्साहपूर्वक पर्युषण पर्व मनाएं।
सुबह और शाम मित्र-परिवार, रिश्तेदारों के साथ जिनसे भी आपसी मनमुटाव हुआ हो, उनसे क्षमा मांगें और उन्हें क्षमा दें। सात दिन प्रतिदिन एक विशेष रंग के वस्त्र धारण करें – सोमवार को सफेद, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को शुभ्र, शनिवार को काला और रविवार को सूर्य के रंग का।
उन्होंने आगे कहा कि, मनुष्य के उत्थान के समय न धर्म था, न सत्ता, न कोई व्यवस्था। गुरु या नेता भी नहीं थे, फिर भी क्षमा, संयम, तप जैसे मूल्य तब भी थे। उस समय प्रकृति के सान्निध्य में, उसके मार्गदर्शन में मनुष्य इन सर्वोच्च मूल्यों को अपनाता था।
प्रकृति के आधार पर ही पर्व मनाए जाते थे। इसलिए आज भी पर्युषण पर्व किसी गुरु या व्यक्ति पर निर्भर न रहकर, मूल्यों के उत्सव के रूप में मनाया जाना चाहिए।
सर्वोत्तम सजावट के लिए पारितोषिक – युगल धर्म संघ की ओर से इस पर्युषण पर्व का महोत्सव मनाने के लिए विशेष आयोजन किया गया है। प्रत्येक घर, दुकान, स्कूल, उद्योग में प्रतिष्ठा के लिए आवश्यक अष्टमंगल मूर्तियां उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है।
साथ ही, सर्वोत्तम सजावट करने वालों में से तीन विजेताओं का चयन किया जाएगा। उन्हें क्रमशः 1 लाख 8 हजार, 54 हजार, 27 हजार रुपये, तथा प्रोत्साहन हेतु 7 व्यक्तियों को 9-9 हजार रुपये के पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।
पंजीकरण के लिए 19 अगस्त तक सचिन जैन (9422302899), अशोक भंडारी (7276500132), महावीर चोरडिया (9822654743), मनोज धोका (9922436402) से संपर्क करें। – विजय भंडारी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जीतो एपेक्स एवं अध्यक्ष, युगल धर्म संघ
