महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : उपाध्याय प्रवर श्री प्रवीणऋषिजी म. सा. (आदि ठाणा-2), दक्षिणज्योति प. पू. श्री आदर्शज्योतिजी म. सा. (आदि ठाणा-3) तथा जिनशासन गौरव प. पू. श्री सुनंदाजी म. सा. (आदि ठाणा-6) सहित सभी संतों के पावन सानिध्य एवं मंगल आशीर्वाद में परिवर्तन चातुर्मास 2025 के अंतर्गत सिद्धी तप आराधकों का भव्य सन्मान आयोजन सम्पन्न हुआ।
जैन धर्म में तप का विशेष महत्व माना गया है। तप के द्वारा आत्मा की शुद्धि होती है तथा आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। इसी कड़ी में पुणे के साधर्मी भाई-बहनों ने सिद्धी तप की महान आराधना कर धर्म की साधना को सार्थक बनाया। आदिनाथ जैन श्रावक संघ एवं परिवर्तन चातुर्मास 2025 कमिटी की ओर से इन सभी तप आराधकों का हार्दिक सन्मान कर उनका उत्साहवर्धन किया गया।
इस अवसर पर जिन सिद्धी तप आराधकों का सन्मान किया गया, उनके नाम इस प्रकार हैं –
- मयूर नंदलाल बोथरा
- साक्षी पारसकुमार लोढा
- कविता विनय श्रीश्रीमाळ
- गोपीचंद झुंबरलाल छोरिया
- प्रियल धिरज गुगळे
- प्रसन्ना पारसकुमार लोढा
- स्वाती संघवी
- ऋषभ विकास लोढा
- तृप्ती आनंद गांधी
- वर्धमान संपत धारिवाल
- स्नेहा अशिष मेहेर
- शितल राहुल सरनोत
- अशोक मुथीयान
- अंकीता शिंगवी
“सिद्धी तप करने वाले आराधक वास्तव में समाज के लिए प्रेरणा स्वरूप हैं। तप से आत्मा की शक्ति बढ़ती है और जीवन में संयम तथा शांति आती है। आज ऐसे तपस्वियों का सन्मान करना हम सबके लिए सौभाग्य की बात है।” – राजकुमार चोरडिया
“तप आराधना केवल व्यक्तिगत साधना नहीं बल्कि पूरे समाज को आध्यात्मिकता से जोड़ने का माध्यम है। सिद्धी तप आराधकों ने इस कठिन साधना से जैन धर्म की महिमा को और ऊँचा किया है।” – राजश्री पारख
“आज के भोगवादी युग में इतने बड़े तप का संकल्प लेना और उसे सफलतापूर्वक पूरा करना असाधारण साहस और श्रद्धा का प्रतीक है। हम सभी को इन तपस्वियों से प्रेरणा लेकर धर्म मार्ग पर अग्रसर होना चाहिए।” – रवींद्र सांकला















