“सुशील तपोमूर्ति” अलंकरण से अलंकृत
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : प. पू. प्रवीणऋषिजी म. सा., प. पू. मुकेशमुनिजी म. सा., प. पू. आदर्शज्योतिजी म. सा., प. पू. सुनंदाजी म. सा. एवं प. पू. चैतन्यश्रीजी म. सा. आदि ठाणा के पावन सान्निध्य में रविवार को महासती श्री सुविज्ञाजी म. सा. के मासखमन की पचकान का ऐतिहासिक अवसर साकार हुआ।
इस पुण्य बेला में महासती श्री सुविज्ञाजी म. सा. को “सुशील तपोमूर्ति” अलंकरण से अलंकृत किया गया। यह अलंकरण प. पू. गुरु श्री सुशीलकुमारजी म. सा. की पावन स्मृतियों को समर्पित है, जिनकी प्रेरणा और तप परंपरा से असंख्य श्रावक-श्राविकाएँ धर्ममार्ग पर अग्रसर हो रही हैं।
कार्यक्रम में उपस्थित समाजजनों ने महासती श्री सुविज्ञाजी म. सा. के अतुलनीय तप, त्याग और साधना का वंदन करते हुए कहा कि उनका जीवन सम्पूर्ण जैन समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत है।
इस अवसर पर आचार्य शिवमुनिजी म. सा. एवं प्रवर्तक कुंदनऋषिजी म. सा. ने भी प. पू. म. सा. के तप के प्रति अपनी हार्दिक शुभेच्छाएँ प्रेषित कीं और इस ऐतिहासिक अवसर की सराहना की।
श्रद्धा, भक्ति और उल्लास से ओतप्रोत इस समारोह ने पुणे शहर के धार्मिक वातावरण को और अधिक पावन बना दिया।
महासती श्री सुविज्ञाजी म. सा. का यह तप समाज के लिए गौरव की बात है। उनका ‘सुशील तपोमूर्ति’ अलंकरण हम सबके लिए प्रेरणा है। – अनिल नहार, अध्यक्ष, आदिनाथ संघ
यह ऐतिहासिक पचकान पुणे के धार्मिक इतिहास में अमिट छाप छोड़ेगा। महासती श्री सुविज्ञाजी म.सा. का तप हम सबको संयम और साधना का संदेश देता है। – सुनील नहार, अध्यक्ष, चातुर्मास समिति
इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति और उनका उत्साह इस बात का प्रमाण है कि महासती श्री सुविज्ञाजी म.सा. का जीवन समाज में कितनी गहरी आस्था और विश्वास जगाता है। – राजश्री पारख, अध्यक्षा , स्वागत समिति















