महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : पुणे स्थित HND जैन बोर्डिंग की जमीन बिक्री के विवादित प्रकरण में अब बड़ा मोड़ आ गया है। धर्मादाय आयुक्त, मुंबई द्वारा इस पूरे लेन-देन पर स्थगन आदेश (स्टेटस को) जारी किया गया है।
इस जमीन के विक्रय के विरोध में जैन समाज के भीतर काफी आक्रोश व्याप्त था। लगातार हो रहे विरोध और शिकायतों के बाद आज मुंबई में धर्मादाय आयुक्त अमोघ कलोटी ने तात्कालिक सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि इस प्रकरण में वर्तमान स्थिति को “जैसे थे” (Status Quo) रखा जाए।
इस विवाद में गोखले कंस्ट्रक्शन कंपनी का नाम सामने आया है। आरोप है कि इसी कंपनी के साथ केंद्रीय राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोळ की साझेदारी रही है। इसी मुद्दे पर विधानसभा सदस्य रविंद्र धंगेकर ने मोहोळ पर सीधे निशाना साधते हुए उनसे इस्तीफे की मांग की।
उन्होंने यह भी घोषणा की कि इस मामले की जांच की मांग करते हुए वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखेंगे। धंगेकर ने कहा कि यदि समाज की भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाले इस लेन-देन में कोई केंद्रीय मंत्री शामिल हैं, तो उन्हें स्वयं ही पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
विवाद को और भी गंभीर तब बना दिया जब यह तथ्य सामने आया कि जैन ट्रस्ट के बोर्डिंग परिसर में स्थित जैन मंदिर को भी गिरवी रखकर कर्नाटक स्थित बीरेश्वर क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी और बुलढाणा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक से बिल्डर के नाम पर ऋण स्वीकृत कराया गया।
इस खुलासे के बाद जैन समाज की विभिन्न संस्थाओं ने तीव्र प्रतिक्रिया देते हुए सीधे धर्मादाय आयुक्त कार्यालय का रुख किया। वहीं, मंत्री मुरलीधर मोहोळ ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पुणे स्थित जैन बोर्डिंग की जमीन बिक्री के इस सौदे से उनका कोई संबंध नहीं है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि जिस गोखले बिल्डर्स कंपनी में उनकी साझेदारी होने का आरोप लगाया जा रहा है, उससे वे लगभग एक वर्ष पहले ही अलग हो चुके हैं। इसलिए जैन बोर्डिंग हाउस की जमीन बिक्री से उनका कोई लेना-देना नहीं है।
जैन समाज के युवाओं ने इस पूरे मुद्दे पर संघर्ष का बिगुल फूंक दिया है। अब देखना यह होगा कि उनके नेतृत्व में लड़ी जा रही इस कानूनी और सामाजिक लड़ाई को आने वाले समय में कितनी सफलता मिलती है।















