महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : पुणे की पुण्यभूमि पर वर्धमान प्रतिष्ठान, शिवाजीनगर, पुणे द्वारा प. पू. श्रमणी सूर्या श्री सुशीलाकंवरजी म.सा., प. पू. श्री हंसाजी म.सा., प. पू. श्री सीयलश्रीजी म.सा. एवं प. पू. श्री धृतीश्रीजी म.सा. आदि ठाणा 4 गुरुवर्या के चातुर्मास की विदाई एवं सत्कार समारोह का आयोजन अत्यंत भव्यता, श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ।
चार माह तक चले इस चातुर्मास काल में पुणे जैन समाज ने गुरुवर्या के सान्निध्य में संयम, साधना, आत्मजागरण और संस्कारों की अमूल्य प्रेरणाएँ प्राप्त कीं। प्रवचनों और उपदेशों से समाज में नई चेतना का संचार हुआ तथा अध्यात्म की अनुभूति से पुणे की धरा पावन बन गई।
इस अवसर पर “सेवा रत्न पुरस्कार” से जितेन्द्र धरमचंदजी तातेड का सम्मान किया गया। संघ-सेवा, गुरुभक्ति और सामाजिक योगदान के लिए उन्हें यह सम्मान प्रदान किया गया। उनका अभिनंदन पत्र अर्चना लुणावत ने वाचन किया।
साथ ही, H.N.D. जैन मंदिर एवं छात्रावास की रक्षा हेतु saveHND अभियान के माध्यम से निःस्वार्थ भाव से कार्य करने वाले समर्पित कार्यकर्ता आनंद कांकरिया, अक्षय जैन, स्वप्निल बाफना, स्वप्निल गंगवाल, योगेश पांडे, सुकौशल जिंतुरकर, चंद्रकांत पाटील, अण्णा पाटील, महावीर चौगुले, अभिजीत शहा, पद्मजी अजमेरा, संजय बाफना इनका विशेष सत्कार किया गया।
कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने हेतु प्रमुख रूप से किरण कोठडिया, अशोक बोरा, चेतन गांधी, किरण बोरा सहित अनेक मान्यवर, ट्रस्टीगण एवं बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएँ उपस्थित रहे। गुरुवर्या ने अपने आशीर्वचन में कहा, “समाजहित में कार्य करने वाले प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान करना यही धर्म की सच्ची सेवा और श्रद्धा का उत्सव है। गुरुवर्या के चरणों में कृतज्ञता अर्पित करने का यह क्षण हम सभी के लिए पुण्य का अवसर है।”
कार्यक्रम का सूत्रसंचालन एवं आभार प्रदर्शन वर्धमान प्रतिष्ठान के अध्यक्ष विलास राठोड ने किया। यह समारोह समाज की एकता, सेवा और धर्मनिष्ठा का जीवंत प्रतीक बनकर सदैव स्मरणीय रहेगा। गुरुवर्या के आशीर्वाद से पुणे जैन समाज में सेवा, साधना और संस्कार का भाव और अधिक प्रगाढ़ हुआ।















