जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण से नारी जगत का प्रश्न
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : संभवामि युगे युगे” का वचन देने वाले श्री कृष्ण को विनंती करनी पड़ेगी के आज देश में नारियों की लाज लुटनेवाले दुर्योधन बहोत बढ़ गए है। निर्भया, कोलकाता, बदलापुर जैसी कई बलात्कार की घटनाएँ अक्सर होने लगी हैं। नारी जगत पूछता है, “श्रीकृष्ण!! आप कहां हैं?” लुटाती थी लाज द्रौपदी की तब आप दोड़ते आए। आज हजारों द्रौपदी (निर्भया) के चिर खींचे जाते हैं। श्रीकृष्ण आप कहां हैं?
श्री आदिनाथ सो. जैनसंध पूना में पं. राजरक्षितविजयजी, पं. नयरक्षितविजयजी आदि साधु-साध्वीजी की पावन निश्रा में प्रभुमिलन का भक्तिमय कार्यक्रम हुआ। लाभार्थी परिवार ने भगवान को पुष्पांजलि अर्पित की।
प्रभु भक्तो ने नृत्य भक्ति प्रस्तुत करके हर्ष विभोर बने । इस कार्यक्रममें मार्गदर्शन करते वक्त पं. राजरक्षितविजयजीने नारी जगत की ओर से श्रीकृष्ण आप कहां हैं? यह सवाल पूछा। पं. राजरक्षितविजयजी ने कहा कि जैन जगत में तीन प्रकार के योगियों का उल्लेख मिलता है। (1) सर्व विरतिधर (2) देश विरतिधर (3) सम्यक्त्वि। द्वारिका नरेश श्रीकृष्ण महाराज समकित-सम्राट थे। उनका गुणानुराग सर्वोच्च कक्षा का था। पद, पदवी और पावर का अभिमान कभी नहीं था। छोटे आदमियों के साथ छोटा बनकर, बड़े आदमियों के साथ बड़े हो कर रहते थे।
सुदामा के तंदुल में जिसने अमृत का आस्वाद चखा था। श्रीकृष्ण को हमेशा सही व्यक्ति की उपेक्षा और अयोग्य व्यक्ति की चापलूसी चुभती थी। सज्जन की सेवा और दुष्टों को दण्ड देना ही उनकी राजनीति थी।
जब प्रभु नेमिकुमार द्वारिका पधारे तब सपरिवार देशना सुनने गये। एक दिन अठारह हजार मुनिओ को पंचाग प्रणिपात नमस्कार करके तीन उपलब्थि प्राप्त कीं। ऐसे योगी पुरुष श्रीकृष्ण का जन्माष्टमी पर्व जुआष्टमी के रूप में क्यों मनाया जाता है?