जैन एकता का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करने का अवसर
महाराष्ट्र जैन वार्ता
शिरपुर : अंतरिक्ष पार्श्वनाथ शिरपुर जैन तीर्थ एक अति प्राचीन तीर्थस्थल है, जहां बिना किसी आधार के प्रतिष्ठित विश्व की एकमात्र प्रतिमा स्थापित है। इस तीर्थस्थल को ‘वैश्विक तीर्थस्थल’ के रूप में विकसित किया जा सकता है, ऐसा प्रतिपादन महाराष्ट्र सरकार के जैन वित्तीय विकास महामंडल के अध्यक्ष ललित गांधी ने किया।
उन्होंने कहा कि इस तीर्थस्थल के विकास से जैन समाज के दिगंबर और श्वेतांबर समुदायों की एकता का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा। समाज के आंतरिक विवादों के कारण यह तीर्थस्थल करीब ४० वर्षों तक कानूनी प्रक्रिया में उलझा रहा, जिससे मंदिर बंद रहा और देशभर के जैन श्रद्धालु भगवान तीर्थंकर की भक्ति, पूजा और दर्शन से वंचित रहे।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद मंदिर दोबारा खुला, लेकिन दोनों समुदायों के बीच छोटे-मोटे विवादों के चलते संघर्ष की स्थिति बनी रहती है। इससे तीर्थस्थल की उपेक्षा हो रही है और श्रद्धालुओं को असुविधा हो रही है।
इस समस्या के समाधान के लिए जैन महामंडल के अध्यक्ष एवं राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त ललित गांधी ने शिरपुर में मंदिर का दौरा कर दोनों समुदायों के संतों और न्यासियों से मुलाकात की। उन्होंने सामंजस्यपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने और विवाद समाप्त करने की अपील की।
मंदिर की वर्तमान स्थिति को खतरनाक बताते हुए उन्होंने इसके तत्काल जीर्णोद्धार की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही, मंदिर परिसर की स्वच्छता बनाए रखने और इसके पवित्र वातावरण को संरक्षित रखने का आह्वान किया।
बाद में, ललित गांधी ने दिगंबर संत सिद्धांत सागर महाराज और श्वेतांबर संत पंन्यास विमलहंस विजयजी से अलग-अलग मुलाकात कर उनकी राय जानी। वाशिम जिलाधिकारी कार्यालय में आयोजित समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने जिलाधिकारी विश्वनाथ घुगे, जिला पुलिस प्रमुख अनुज तारे और अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के साथ चर्चा की।
उन्होंने प्रशासन द्वारा अब तक की गई कार्रवाई की समीक्षा की और आवश्यक निर्देश दिए। साथ ही कहा कि यदि इस तीर्थस्थल को वैश्विक तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया जाए, तो वाशिम जिले की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
