चातुर्मास प्रवेश समारोह : 1008 सजोड़े भक्तामर अनुष्ठान
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : पुणे शहर ने एक बार फिर अपनी आध्यात्मिक गरिमा को सिद्ध किया, जब उपाध्याय प.पू. श्री प्रवीणऋषिजी म.सा. (आदि ठाणा-2), दक्षिणज्योति प.पू. श्री आदर्शज्योतिजी म.सा. (आदि ठाणा-3) और जिनशासन गौरव प.पू. श्री सुनंदाजी म.सा. (आदि ठाणा-6) के दिव्य सान्निध्य में 1008 भक्तामर स्तोत्रों का महासमूहिक अनुष्ठान एवं चातुर्मास प्रवेश समारोह अत्यंत भव्यता व भक्तिभाव से संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 8:30 बजे श्री शत्रुंजय मंदिर से निकली एक भव्य शोभायात्रा से हुआ। इस शोभा यात्रा में प.पू.मुकेश मुनीजी आदी ठाणा, प.पू. ईदुप्रभाजी आदि ठाणा, प. पू.
चैतन्या श्रीजी आदि ठाणा इनकी विशेष उपस्थिति रही।
पारंपरिक वेशभूषा में सजी महिलाओं के समूह, घोषणाएं करती गाड़ियाँ, भजन मंडलियाँ, बच्चों की टोलियाँ, कलश यात्रा और विभिन्न धार्मिक झांकियों ने इस यात्रा को एक जीवंत आध्यात्मिक अनुभव बना दिया। जयकारों और घोष ध्वनियों के बीच यह यात्रा वर्धमान सांस्कृतिक केंद्र पहुँची, जहाँ भक्ति की गूंज चारों ओर फैल गई।
शोभायात्रा से पहले प्रातः 7:30 बजे श्री शत्रुंजय मंदिर में प्रारंभ हुए भक्तामर अनुष्ठान में 1008 श्रद्धालुओं ने एक स्वर में स्तोत्रों का पाठ कर पुण्य भूमि को पावन किया। इस अद्वितीय आयोजन में भक्ति, अनुशासन और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला, जिससे वातावरण पूर्णतः आध्यात्मिक रस में डूब गया।
इस भव्य कार्यक्रम में अर्हम विज्जा ग्रुप, उड़ान ग्रुप, गौतम निधि ग्रुप, महिला मंडल, पुणे के विविध जैन श्रावक संघों और समाज के विभिन्न घटकों ने सक्रिय सहभागिता निभाई। विशेष रूप से युवाओं की ऊर्जा और उत्साह ने पूरे आयोजन को जीवन्तता प्रदान की।
“ऐसे दिव्य आयोजन पुणे समाज की आध्यात्मिक परंपरा को नई ऊर्जा और दिशा देते हैं। उपाध्याय श्रीजी जैसे मुनिराज का पुणे में चातुर्मास होना यह हम सभी पुणेकरों के लिए सौभाग्य की बात है। इस आयोजन ने यह सिद्ध किया है कि जब समाज एकजुट होता है, तब असंभव को भी संभव किया जा सकता है।” – अनिल नहार, अध्यक्ष, आदिनाथ संघ
“श्रद्धा, समर्पण और अनुशासन की त्रिवेणी जब एक मंच पर प्रवाहित होती है, तो वह इतिहास रच देती है। यह आयोजन न केवल पुणे समाज के लिए प्रेरणास्रोत बना, बल्कि पूरे जैन समाज को एक नई सोच, ऊर्जा और संगठन की मिसाल देकर गया। आने वाली पीढ़ियों के लिए यह आयोजन एक पाथवे बनेगा।” – सुनील नहार, अध्यक्ष, चातुर्मास समिति
“हर वर्ग, हर उम्र और हर समूह की उत्साही सहभागिता ने इस आयोजन को एक भव्य महोत्सव में बदल दिया। यह सिर्फ एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं था, यह समाज की एकता, शक्ति और संस्कृति की झलक थी। पुणे समाज की यह संगठित ताकत देशभर में एक उदाहरण बनकर उभरी है।” – राजश्री पारख, अध्यक्ष, स्वागत समिति
