हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति : गुरु-शिष्य परंपरा का उत्सव
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : पुण्यभूमि पुणे में आज गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर उपाध्याय प.पू. श्री प्रवीणऋषिजी म.सा. (आदि ठाणा-2), प.पू. श्री आदर्शज्योतिजी म.सा. (आदि ठाणा-3), तथा प.पू. श्री सुनंदाजी म.सा. (आदि ठाणा-6) के सान्निध्य में परिवर्तन चातुर्मास 2025 का आधिकारिक प्रथम दिन श्रद्धा, भक्ति और गुरु-वंदना के साथ मनाया गया।
आज के दिन का महत्व और भी बढ़ गया क्योंकि यह दिन गुरु पूर्णिमा जैसा पावन पर्व भी था एक ऐसा अवसर जब शिष्य अपने जीवन में गुरु के स्थान और योगदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर प.पू. म.सा. ने गुरु के महत्व और शिष्य के कर्तव्य पर गहन विचार प्रकट किए।
प.पू. उपाध्याय प्रवीणऋषिजी म.सा. ने कहा, “गुरु वह दीप है जो अंधकार में मार्ग दिखाता है, और शिष्य वह पात्र है जो उस प्रकाश को अपने जीवन में उतारता है। शिष्यत्व तभी सार्थक होता है जब वह गुरु की वाणी को जीवन में उतारकर परिवर्तन करे।”
चातुर्मास के इन चार महीनों में अनेक आध्यात्मिक आयोजन होंगे। प्रथम दिन से ही पुणे जैन समाज की हजारों की संख्या में उपस्थिति ने यह सिद्ध कर दिया कि यह चातुर्मास पुणे के लिए धर्म, साधना और सेवा का एक नया अध्याय रचने वाला है।
इस चातुर्मास के प्रत्येक कार्यक्रम से जुड़ने की अपील आदिनाथ जैन संघ के अध्यक्ष अनिल नहार, चातुर्मास समिति के अध्यक्ष सुनील नहार, तथा स्वागत समिति के अध्यक्ष राजश्री पारख ने की है।
गुरु पूर्णिमा के इस दिव्य दिन पर परिवर्तन चातुर्मास का आरंभ होना पुणे जैन समाज के लिए अत्यंत गौरव की बात है। यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समाज के नैतिक, आध्यात्मिक और सेवा के मूल्यों को जाग्रत करने का माध्यम है। हमारी संस्था इस पूरे चातुर्मास में समाज को संगठित, ऊर्जावान और समर्पित बनाए रखने के लिए पूर्ण प्रयासरत रहेगी। – अनिल नहार, अध्यक्ष, आदिनाथ संघ
यह चातुर्मास पुणे की धरती पर केवल प्रवचनों का नहीं, आत्म-निर्माण का पर्व होगा। गुरुजनों के सान्निध्य में धर्म, संयम, ज्ञान और साधना की गंगा बहेगी। हम हर श्रद्धालु से अपील करते हैं कि इस शुभ अवसर का अधिकतम लाभ उठाएं और आत्मिक उन्नति की दिशा में कदम बढ़ाएं। पूरी समिति इस आयोजन को भव्य, अनुशासित और दिव्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। – सुनील नहार (अध्यक्ष, चातुर्मास समिति)
स्वागत जुलूस में समाज के हर वर्ग – महिला, पुरुष, युवा, वरिष्ठ – ने जिस उत्साह और श्रद्धा के साथ भाग लिया, वह पुणे जैन समाज की एकता और समर्पण का प्रमाण है। आज का गुरु पूजन केवल एक रस्म नहीं, एक समर्पण भाव था। स्वागत समिति की ओर से हम यह संकल्प लेते हैं कि गुरुजनों के शिबिर में आनेवाले हर अतिथि और श्रद्धालु को प्रेम, सम्मान और सुविधा का संपूर्ण अनुभव मिलेगा। – राजश्री पारख (अध्यक्ष, स्वागत समिति
