5 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए विशेष धार्मिक कार्यक्रम
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : परिवर्तन चातुर्मास 2025 के पावन अवसर पर उपाध्याय प. पू. श्री प्रवीणऋषिजी म. सा. (आदि ठाणा-२), दक्षिणज्योती प. पू. श्री आदर्शज्योतीजी म. सा. (आदि ठाणा-३) तथा जिनशासन गौरव प. पू. श्री सुनंदाजी म. सा. (आदि ठाणा-६) की प्रेरणा से अर्हद पाठशाला का शुभारंभ किया गया है।
यह पाठशाला विशेष रूप से 5 से 18 वर्ष की आयु के बालक-बालिकाओं के लिए प्रारंभ की गई है। इसका उद्देश्य जैन संस्कार, धार्मिक शिक्षण, नैतिक मूल्यों की स्थापना तथा बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण की दिशा में मार्गदर्शन देना है।पाठशाला का समय हर रविवार दोपहर 2:00 बजे से 4:00 बजे तक।”बचपन से ही धर्म की नींव मजबूत हो, यही उद्देश्य अर्हद पाठशाला का है।”
पाठशाला के प्रमुख विषय – सामायिक सूत्र एवं प्रतिक्रमण
» पचीस बोल का थोकड़ा एवं तीर्थंकर निर्वाण थोकड़ा
» पूच्छिसुणं, भक्तामर
» भजन एवं जैन कहानियाँ
» समकित के दोहे
» महाराष्ट्र में जैन संत परंपरा
» मोटिवेशनल मूवीज़
» ऑदर अॅक्टिविटीज़
“बचपन में बोए गए संस्कारों के बीज ही भविष्य में चरित्रवान समाज का निर्माण करते हैं। अर्हद पाठशाला इसी दिशा में एक सशक्त पहल है।” – राजेश नहार
“धर्म केवल उपासना नहीं, वह जीवन जीने की कला है। जब बच्चे धर्म को समझेंगे, तभी जीवन को सही दिशा देंगे, यही उद्देश्य है अर्हद पाठशाला का।” – दिलीप बोरा
“आज की पीढ़ी अगर नैतिकता और धार्मिक मूल्यों से जुड़ी रहे, तो कल का समाज स्वर्णिम बनेगा। अर्हद पाठशाला उसी उज्जवल भविष्य की नींव रख रही है।” – गौतम नाबरिया
