भगवान महावीर की अंतिम वाणी “उत्तराध्ययन सूत्र” का दिव्य संदेश गूँजा
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : प. पू. प्रवीणऋषिजी म.सा., प. पू. आदर्शज्योतिजी म.सा. एवं प. पू. सुनंदाजी म.सा. आदि ठाणा के पावन सानिध्य में रविवार, 28 सितम्बर 2025 को पुणे में भव्य श्रीमद् उत्तराध्ययन श्रुतदेव भक्ति यात्रा का आयोजन हुआ।
विदित हो कि तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने अपने निर्वाण से पूर्व समाज को जो अंतिम अमूल्य उपदेश दिया था, वही ‘उत्तराध्ययन सूत्र’ आज भी समस्त जैन समाज के लिए ज्ञान और मार्गदर्शन का शाश्वत स्त्रोत है।
यात्रा का शुभारंभ श्री सुभाषजी प्रशांतजी मुथा के निवास स्थान से प्रातः 8 बजे हुआ। इस अलौकिक यात्रा में लगभग 300 श्राविकाएँ साध्वीजी की वेशभूषा में तथा 200 श्रावक संतों की वेशभूषा में सम्मिलित हुए। इनके साथ इंद्र, इंद्रायणी, चक्रवर्ती, गंधर्व एवं 16 सतीया की आकर्षक झांकियाँ विशेष आकर्षण का केंद्र बनीं।
भक्ति गीत और धार्मिक उत्साह से यात्रा का वातावरण आध्यात्मिक रंग में रंग गया। पुणे शहर के श्रद्धालुओं ने इस अवसर को अविस्मरणीय बना दिया। ज्ञात हो कि श्रीमद् उत्तराध्ययन श्रुतदेव आराधना जिनेश्वरी पारायण 2 से 22 अक्टूबर 2025 तक प्रतिदिन प्रातः 7.30 से 9.30 बजे तक आयोजित होगी।
इस आयोजन को सफल बनाने में आदिनाथ संघ, चातुर्मास कमेटी तथा आनंद तीर्थ फाउंडेशन के सभी सदस्यों ने विशेष योगदान दिया।
