परिवर्तन चातुर्मास 2025 : समर्पित सेवा की अनुपम मिसाल
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : उपाध्याय प. पू. श्री प्रवीणऋषिजी म. सा. (आदि ठाणा) के सानिध्य में आयोजित परिवर्तन चातुर्मास 2025 में देशभर से हजारों श्रद्धालु, गुरुभक्त एवं साधक पुणे में पधार रहे हैं। इस विशाल आध्यात्मिक महायात्रा के अंतर्गत श्रीमती प्रमिलाबाई नौपतलालजी सांकला परिवार की ओर से निशुल्क आवास-निवास व्यवस्था का भव्य और सुव्यवस्थित लाभ श्रद्धाभाव से लिया गया है।
जैन धर्म में अतिथि सेवा, साधक सेवा और गुरुसेवा को सर्वोच्च पुण्य माना गया है। इसी भावना को मूर्त रूप देते हुए रविंद्रजी सांकला, राजेशजी सांकला एवं उनके समस्त परिवार द्वारा यह सेवा कार्य गुरुभक्तों, साधकों तथा अर्हम् विज्जा जैसे विविध आत्मचिंतन शिबिरों में सहभागी साधकों हेतु समर्पित किया गया है।
इन सभी स्थानों पर सुसज्जित, स्वच्छ, शांत और सुरक्षित वातावरण में श्रद्धालुओं के निवास की उत्कृष्ट व्यवस्था की गई है। यह सेवा केवल आवास उपलब्ध कराने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गुरुसेवा, श्रद्धालु-सम्मान और सामूहिक साधना के प्रति एक गहन समर्पण की भावना को प्रकट करती है।
यह आयोजन निःस्वार्थ सेवा का प्रतीक बनकर समाज के सामने एक प्रेरणास्पद आदर्श प्रस्तुत कर रहा है।
इस आवास-व्यवस्था का लाभ पुणे के प्रमुख स्थानों पर उपलब्ध है –
शत्रुंजय मंदिर ट्रस्ट
नाजुश्री कार्यालय
वर्धमान संस्कृति केंद्र
आवास-निवास के लाभार्थी –
श्रीमती प्रमिलाबाई नौपतलालजी सांकला
श्री. राजेशजी- सौ. रंजनजी, श्री. रवींद्रजी- सौ. लतिकाजी
श्री. रुषभजी- सौ. नेहाजी, श्री. अभिनंदनजी- सौ. मनालीजी
तनिश, रिधित, विराया, ध्रुव एवं सांकला परिवार
सौ. हेमाजी रवींद्रजी गादिया
रुणल अनिमेश नर्गोड़ा
सौ. रिध्दीजी अलेखजी जैन, सौ. सिध्दीजी जीतजी जैन
सर्वेश, गौरव, आशीष गादिया
अनय, अरश, रेना नर्गोड़ा
अविराज, रिवान जैन, शैरा, सनैरा जैन
“गुरुदेव के चरणों में समर्पित यह सेवा, हमारे लिए सौभाग्य है। आने वाले हर अतिथि में हम जिनशासन का ही प्रतिरूप देखते हैं।” – राजेशजी सांकला
“गुरुभक्ति केवल वाणी से नहीं, कर्म और सेवा से प्रकट होती है। यह आवास-निवास की सेवा हमारे परिवार की श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है।” – रविंद्रजी सांकला
“गुरुसेवा हमारा सौभाग्य है, और साधकों की सेवा हमारा धर्म। प्रत्येक श्रद्धालु में हमें भगवान का अंश दिखाई देता है। इस परिवर्तन चातुर्मास में सेवा के माध्यम से श्रद्धा को जीवन का हिस्सा बनाना ही हमारा उद्देश्य है।” – लतिका सांकला















