डॉ. मुनिश्री प.पू .आलोककुमारजी म.सा. एवम् मुनिश्री प.पू. हिमकुमारजी म. सा. ने किया मार्गदर्शन
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य डॉ. मुनिश्री प.पू.आलोककुमारजी म. सा. एवम् मुनिश्री प.पू. हिमकुमारजी म. सा. के पावन सान्निध्य में तेरापंथ भवन, कोंढवा, पूणे में 266 वा तेरापंथ स्थापना दिवस और गुरु पूर्णिमा उत्साह से मनाई गई।
मुनिश्री हिमकुमारजी ने एक मधुर गीत (मैं भटक रहा था जंगल में सद्गुरु ने पथ दिखलाया) का संगान किया। फिर कहा, गुरु होते है काठी लकड़ी की तरह जो वह खुद भी तैरते है और औरों को भी तैराते है, अच्छे गुरु जिन्हें मिलते हैं उन्हें वह भवसागर पार करवा देते हैं।
डॉ. मुनिश्री प. पू. आलोककुमारजी म. सा. ने गुरु पूर्णिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा जिनकी आस्था गुरु के साथ जुड़ जाती है, वह भवसागर पार कर लेता है। गुरुदेव में आस्था, गुरुदेव में ही विश्वास, गुरुदेव में ही सारा संसार है।
गुरुदेव हमारे पर्व है। गुरुदेव चंदन की तरह होते हैं खुद भी शीतल होते हैं औरों को भी शीतल बना लेते हैं। पारस पत्थर का योग मिलने पर पत्थर भी सोना बन जाता है। ऐसे ही सद्गुरू का सहयोग मिलने से मानव जीवन निहाल हो जाता है।
डॉ. आलोक मुनिश्री ने जैन मानस को संबोधित करते हुए कहा, गुरु के बाद हमारे माता-पिता पूजनीय है, उन्हे हमेशा खुश रखना, उनकी सेवा करना। इस समय सभा अध्यक्ष महावीर कटारिया, मंत्री राजेश पारेख, महिला मंडल अध्यक्ष पुष्पा कटारिया, मंत्री पायल धारिवा, युवक परिषद अध्यक्ष अक्षय जैन, मंत्री मनीष भंडारी, अणुव्रत समिति अध्यक्ष धर्मेंद्र चोरड़िया, मंत्री मुकेश सकलेचा, भिक्षु ट्रस्ट अध्यक्ष प्रकाश भंडारी, मंत्री संजय मरलेचा इनके साथ पूरा तेरापंथ समाज के सभी सदस्य उपस्थित थे।
