महाराष्ट्र न्यूज नेटवर्क
पुणे : श्री आदिनाथ सोसायटी जैन संध पूना में पं. राजरक्षितविजयजी ने कहा कि आत्म-विकास का बेरोमीटर धन की वृद्धि नहीं बल्कि सद्गुणों की वृद्धि है। संपति, शक्ति, शरीर अधिक से अधिक आलोक तक, स्मशान तक लेकिन सद्गुण आत्मा के साथ परलोक में आते है। संपति आदि पाने की दौड़ का सौवाँ भाग भी सद्गुण की प्राप्ति के लिए है?
सच्चा इंसान बनने के लिए मार्गानुसारी कक्षा के 35 गुण बताए गए हैं। कहा जाता है कि एक सच्चे आदमी के पास कम से कम बारह गुण तो होने चाहिए। माता-पिता का आदर, कृतज्ञता, अतिथि सत्कार, लोकप्रियता, पाप से डरना, दया आदि बहुत महत्वपूर्ण गुण हैं।
आधुनिक युग में मानवी के पास संपति, सौंदर्य और सुख-सुविधाएं बहुत बढ़ गई हैं। लेकिन उज्वल संस्कार की सच्ची पूंजी में बड़ी दरार पड़ गई है। कृष्ण-सुदामा जैसी उमदा मित्रता, राम-सीता जैसा स्नेहभाव, वस्तुपाल-तेजपाल जैसा भातृ प्रेम, श्रवण जैसी माता-पिता की सेवा, भरत जैसी अनाशक्ति, आज दीपक लेकर ढूंढनी पड़ेगी? गौ, गंगा, गायत्री, गीता और गौरी यह पांच माता की हररोज आरती करनार यह भारत में गाय, गंगा, गौरी इस हद तक असुरक्षित हो गई हैं कि इन्हें बचाने के लिए आंदोलन करना पड़ता है। इंडिया बना हुवा भारत मे एज्युकेटेड अधिकाधिक बढ़ रहे है, कल्चर्ड लोग कम हो रहे हैं।
विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ तो मिल जाते हैं लेकिन अच्छे (सज्जन) लोग कहीं नहीं मिलते। नई पीढ़ी शॉर्ट टाइम की मज़ा लेने के लिए हुक्का बार, शराब, जुआ, झूठ, चोरी, बुरी नजर आदि की ओर भाग रही है।
वेब सीरीज, घटिया कलिपो, विकारी फिल्मों के निरंतर आक्रमण ने युवा पेढ़ी गुमराह बनी है। 18 से 26 सितंबर नौ दिनों तक 27 लाख नवकार महामंत्र का जाप किया जाएगा। 125 आराधक नौ एकासन के साथ विश्व शांति, राष्ट्र शांति, पारिवारिक शांति के लिए प्रार्थना करेंगे।
