महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : गुरुदेव शांतिदूत आचार्य महाश्रमणजी के शिष्य, डॉ. मुनि श्री आलोक कुमारजी, मुनि श्री हिम कुमारजी और स्थानक संप्रदाय से डॉ. मुनि श्री गौरव कुमार जी के सानिध्य में तेरापंथ भवन, कोंढवा में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का पहला दिन “अणुव्रत संप्रदाय सौहार्द दिवस” के रूप में मनाया गया।
समारोह में ब्रह्माकुमारी से सरिता दीदी राठी, ओशो रजनीश आश्रम से स्वामी सुरेन्द्र सरस्वती जी, वारकरी संप्रदाय के गुरुकुल संस्थापक श्री तेजस जी महाराज कोठावले, इस्कॉन टेंपल के वाइस प्रेसिडेंट श्री संजय जी भोसले, और श्री गुरु रविदास मंदिर के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं संस्थापक श्री सुखदेव जी महाराज मुख्य अतिथि थे।
कार्यक्रम की शुरुआत मुनि श्री आलोक कुमार जी के मुखारविंद से नवकार मंत्र से हुई, जिसके बाद अणुव्रत समिति पुणे द्वारा मंगलाचरण हुआ। अणुव्रत समिति पुणे के अध्यक्ष धर्मेंद्र चौरडिया ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।
मुनि श्री आलोक कुमारजी ने कहा, “अणुव्रत जीवनशैली का आधार बिंदु है संयम का अभ्यास। एक बार यह अभ्यास हो गया तो यह जीवन के हर क्षेत्र में अपना प्रभाव छोड़ेगा। संयम जब आपकी आदत बन जाएगा और आपके अवचेतन मन ने इसे स्वीकार कर लिया, तब बिना किसी विशेष प्रयास के यह आपको हर कदम पर सही मार्ग दिखाएगा। लेकिन, नयी आदत डालना या पुरानी आदत छोड़ना आसान नहीं होता।”
मुनि श्री गौरव कुमारजी ने कहा, “हर इंसान का खून एक जैसा होता है और सबके दांत भी एक जैसे होते हैं। फिर भी सबके मन अलग-अलग क्यों होते हैं? जब किसी का मन मिल जाता है, तो सौहार्द उत्पन्न हो जाता है।
नारियल और इंसान दोनों बाहर से एक जैसे होते हैं, परंतु नारियल फोड़ने और इंसान को जोड़ने पर उनके स्वभाव का पता चलता है। हमें लोगों के मन में उतरना है, न कि मन से उतरना।” मुनि श्री हिमकुमारजी ने अपनी सुरीली आवाज में एक गीत प्रस्तुत किया।
श्री सुखदेवजी महाराज ने कहा, “आज मनुष्य में मनुष्यता खो रही है। यदि मनुष्यता रह जाए तो जीवन में सौहार्द की भावना स्वाभाविक रूप से उत्पन्न हो जाएगी। हमें अपनी जिंदगी में समस्याओं के समाधान में सहायक बनना चाहिए, न कि समस्याओं को बढ़ाने वाला।”
स्वामी सुरेन्द्र सरस्वती जी ने कहा, “एक लीडर ऐसा होना चाहिए, जो सबको साथ लेकर चले। सबके प्रति प्रेम और मैत्री भाव रखें, किसी से बैर नहीं रखें।” श्री संजय भोसले ने कहा, “भारत की सांस्कृतिक विरासत इतनी मजबूत है कि हमें रामायण से पारिवारिक जीवन जीने की, महाभारत से नेतृत्व की, और गीता से प्रेम और अध्यात्मिकता से जीने की शिक्षा मिलती है।”
ब्रह्मकुमारी की सरिता दीदी ने कहा, “एक नर स्वयं नारायण बन सकता है और नारी लक्ष्मी बन सकती है, यदि हम अपने जीवन में अच्छे गुणों का विकास करें। हमें अपने परिवार में बच्चों को सही मार्गदर्शन देना चाहिए, और यह तभी संभव है जब हम स्वयं अच्छे इंसान बनें।”
श्री तेजस महाराज कोठावाले ने कहा, “मानव को मानव की तरह व्यवहार करना चाहिए। पहले के समय में लोग एक-दूसरे की मदद करते थे, ‘पानी आडवा, पानी जिरवा’, लेकिन आज के समय में लोग एक-दूसरे का विरोध करते हैं। हमें सिखाया गया है कि एक-दूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए।”
सभा में अध्यक्ष महावीर कटारिया, मंत्री राजेश पारेख, अक्षय चपलोट, मनीष भंडारी, महिला मंडल अध्यक्ष पुष्पा कटारिया, मंत्री पायल धारेवा, अणुव्रत समिति अध्यक्ष धर्मेंद्र चौरडिया, और तेरापंथ समाज के अन्य प्रमुख सदस्य उपस्थित थे।
समारोह का सफल संचालन पुष्पा महावीर कटारिया ने किया। उन्होंने बताया कि अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के तहत 1 अक्टूबर को “सांप्रदायिक सौहार्द दिवस”, 2 अक्टूबर को “अहिंसा दिवस”, 3 अक्टूबर को “अणुव्रत प्रेरणा दिवस”, 4 अक्टूबर को “पर्यावरण शुद्धि दिवस”, 5 अक्टूबर को “नशामुक्ति दिवस”, 6 अक्टूबर को “अनुशासन दिवस” और 7 अक्टूबर को “जीवन विज्ञान दिवस” मनाया जाएगा।

