चार एकड़ के विशाल भूखंड में हो रहा है निर्माण
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : सैलानियों का स्वर्ग, प्राकृतिक सौंदर्य के बीच में, कॉफी और कालीमिर्च की पैदावार के बिच, रिमझिम बरसती बरसात की फुहारे में बसा है, अत्यंत रमणीय स्थल ‘कुर्ग’।
कुर्ग की वसुंधरा पर दोनो ओर लंबे घने चिनार के वृक्षों में करीबन चार एकड़ के विशाल भूखंड में जिरावला पार्श्वनाथ धाम का निर्माण कार्य तेजी से अनवरत रूप से चल रहा है। जैन संस्कृति, सभ्यता, कला का बेजोड़ नमूना, अति सुक्ष्म आरपार की नक्काशी देलवाड़ा, रणकपुर एवं बैलूर हल्ले बैलूर के मंदिरों की याद दिलाएगा।
मैसूर मडीकेरे राजमार्ग के जरिए कुशालनगर से अगला पड़ाव सुन्टीकोप्पा से महज 6 किलोमीटर दूरी पर स्थित भविष्य के जीरावाला तीर्थ की स्थापना प. पु. आचार्य श्रीमद् नयनचंद्रसागरसूरेश्वरजी म. सा. के आशीर्वाद से एवम प. पु. अजीतचंद्रसागरजी म. सा. के मार्गदर्शन में कारीगर रात दिन पाषाण को मूर्त रूप दे रहे है।
प्रतिदिन जीरावला पार्श्वनाथ के प्रतिमा का कावेरी के निर्मल जल से पक्षाल होता है। स्थानीय बगीचे के विभिन्न प्रकार के रंग बिरंगी फूलो से परमात्मा की आंगी और अनुष्ठान क्रमबद्ध रूप से चलते रहते है। सुरुचि भोजनशाला में प्रतिदिन देसी एवम पश्चिम शैली के जैन व्यंजन, सांत्विक भोजन के साथ में परोसे जाते है।
विशिष्ठ राजस्थानी परिवेश में व सभी महिला पुरुष सेवा में तत्पर कर्मचारी विशेष समवस्त्र में आकर्षित करते है। पाश्चात्य शैली में रहने के लिए सुविधा युक्त कमरे, एवम विश्राम कक्ष उपलब्ध कराए गए है। शिल्प कला गर्भ गृह में मूलनायक श्री जीरावाला पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा 55″ इंच की होगी।
विशाल रंग मंडप में दो खंबो (पिलर) में लक्ष्मी माताजी एवम सरस्वती माताजी की 1008 मूर्ति रहेगी। पद्मावती माता की मूर्ति का निर्माण हो चुका है 108 हाथ 108 फणा काले बेजाल्ट स्टोन से हो गया है। यह प्रतिमा पल्लू आर्ट, पाला आर्ट, हौयशाला आर्ट से मिश्रित विश्व की प्रथम प्राचीन शैली की प्रतिमा है।
यह रूस से आयात पत्थर से सोने का मिश्रण करके गलीचा बनेगा। मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार गुफा द्वारा होगा। गुफा में अजंता एलोरा की प्रतिकृतियां विशेष भंगिमा में होगी। एवम कर्नाटक की जीवन शैली सभ्यता की झलक देखने को मिलेगी। मंदिर के बाई ओर श्रद्धालुओं के लिए विश्वस्तरीय सुविधाओ युक्त 5 सितारा कॉटेज बन गये है।
गुरुभगवंत के लिए उपाश्रय का निर्माण किया जाएगा। पूर्व कालीन समय में यहाँ 6 से 7 जैन मंदिर थे, और कुर्ग क्षेत्र जैन धर्म से अत्यधिक प्रभावित था। पाश्र्वनाथ भगवान, माँ पद्मावती माता, एवं श्री शांतिनाथ दादा आदि की अनेक प्रतिमाएँ आज भी कुर्ग फोर्ट म्यूज़ियम में रखी हुई हैं।
जैन मंदिर का पूर्ण उत्थान और जीर्णोद्धार हो रहा है, जिसके परिणामस्वरूप एक अत्यंत भव्य मंदिर बन रहा है। मंदिर की कारीगरी में करीबन 600 से 700 पीले पत्थर की प्रतिमाएं बाघ, हाथी, घोड़ा, मोर, और कल्पवृक्ष, वगैरह की नक्काशी कार्य में निरंतर शिल्पी लगे है।
यह कार्य बैंगलोर, पूना, मुंबई, मैसूर, सूरत के ट्रस्टीयो के संयुक्त सहयोग निर्देश के अनुसार चल रहा है। मंदिर के निर्माण कार्य २०२५-२६ तक पूर्ण होने के संकेत है। एवम पूर्ण प्रतिष्ठा उसी समय की जाएगी। यह जानकारी जीरावला धाम के स्वप्नकर्ता मैनेजिंग ट्रस्टी सेवक श्री भावेश पारेख ने दी।

