भगवान को मन मंदिर में लाने के लिए कोमल हृदय आवश्यक है : पं. राजरक्षितविजयजी
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : श्री गुलटेकरी जैन संघ के मूलनायक श्री संभवनाथ परमात्मा के जन्म कल्याणक के शुभ अवसर पर पं. राजरक्षितविजयजी, पं. नयरक्षितविजयजी और अन्य साधु-साध्वीजी की पावन निश्रा में भव्य स्नात्र महोत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में वर्धमान शक्रस्तव पाठ और भगवान का अभिषेक किया गया। केसर, बरस, चंदन, सोना, चांदी आदि विशेष द्रव्यों से जलाभिषेक संगीत के साथ संपन्न हुआ। इस पावन आयोजन में 500 से अधिक श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया।
पं. राजरक्षितविजयजी ने विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा, “असंभव को संभव करने वाले श्री संभवनाथ परमात्मा का आज जन्म कल्याणक है। कल्याणक उत्सव मनाने से जीवन में शुभता और कल्याण आता है। पैसे से चश्मा खरीदा जा सकता है, लेकिन पुण्य से दृष्टि मिलती है और प्रभु की कृपा से निर्विकारिता प्राप्त होती है।
भगवान कृपणकुल, दरिद्रकुल या याचककुल में जन्म नहीं लेते। इसी प्रकार, प्रभु कृपण, दरिद्र या याचक हृदय में भी वास नहीं करते। भगवान को मन मंदिर में लाने के लिए कोमल और पवित्र हृदय अनिवार्य है।”
पं. राजरक्षितविजयजी द्वारा भगवान के जन्म वाचन के दौरान श्रद्धालुओं ने हर्ष व्यक्त करते हुए भक्ति नृत्य किया। जिनमंदिर में “जन्म कल्याणक” के जयघोष से वातावरण भक्तिमय हो गया। श्रद्धालुओं ने विशेष द्रव्यों से भक्ति कर भगवान का पूजन किया और जन्मोत्सव का आनंद लिया।
आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा
15 दिसंबर: सुबह 7:45 से 8:45 बजे तक श्री संभवनाथ दीक्षा कल्याणक के अवसर पर प्रवचन। पोषदशमी पर्व के अवसर पर सुबह 10 बजे श्री हाइड पार्क जैन संघ में पूज्यश्री का भव्य प्रवेश।
16 से 26 दिसंबर: सुबह 7:45 से 8:45 बजे तक श्री पार्श्वनाथ कथा पर विशेष व्याख्यान।
अठ्ठमतप: इन दिनों सैकड़ों श्रद्धालु उपवास और भक्ति में शामिल होंगे।
