भव्य शोभायात्रा के साथ हुआ स्वागत
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : जैन धर्म की परंपरा अनुसार चातुर्मास एक अत्यंत महत्वपूर्ण साधना काल होता है, जिसमें साधु-साध्वियाँ एक ही स्थान पर रहकर आत्मशुद्धि, आगम वाचन और धर्म प्रचार करते हैं।
इसी पावन परंपरा को आगे बढ़ाते हुए कर्नाटक केसरी प. पू. गणेशलालजी म. सा., महाराष्ट्र प्रवर्तिनी प. पू. प्रभाकंवरजी म. सा., कोटा संघ प्रवर्तिनी प. पू. प्रकाशकंवरजी म. सा. की आज्ञानुवर्तीनी, श्रमणी सूर्या, प्रवचन प्रभावी प. पू. सुशीलजी म. सा., प. पू. हंसाजी म. सा., प. पू. सियलश्रीजी म. सा. तथा प. पू. बालदीक्षित धृतीश्रीजी म. सा. का चातुर्मास प्रवेश वर्धमान प्रतिष्ठान, शिवाजीनगर स्थित जैन स्थानक में भव्य शोभायात्रा के साथ संपन्न हुआ।
सुबह से ही श्रद्धालुओं में अत्यंत उत्साह का वातावरण था। शोभायात्रा जैन धर्म के प्रतीकों से सुसज्जित रथ पर आरूढ़ प. पू. साध्वीवृंद के साथ नगर भ्रमण के रूप में प्रारंभ हुई। संगीतमय वंदनाओं और जयघोष के साथ निकली इस यात्रा ने श्रद्धालुओं के मन में धर्ममय ऊर्जा का संचार किया।
वर्धमान प्रतिष्ठान के अध्यक्ष विलास राठोड़, जितू तातेड़, अर्चना लुणावत और प्रतिष्ठान के समस्त पदाधिकारियों द्वारा इस आयोजन की संपूर्ण व्यवस्था अत्यंत भव्य एवं अनुशासित रूप से की गई। आयोजन की सफलता में सभी सदस्यों ने तन, मन, धन से समर्पण भाव से सेवा की।
इस पुण्य अवसर पर समाज के अनेक प्रमुख पदाधिकारी एवं श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से विजयकांत कोठारी, अॅड अभय छाजेड, पोपटलाल ओस्तवाल, अनिल नहार, सुनील नहार , पृथ्वीराज धोका, सचिन नाहर, रवींद्र लुणावत, चंद्रकांत लोढा, राजेंद्र गोटी, प्रकाश बोरा, कुंदन दर्डा तथा आदेश खिंवसरा की गरिमामयी उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
आगामी चार महीनों तक चलने वाले इस चातुर्मास में पूज्य साध्वीवृंद द्वारा आगम आधारित प्रवचन, आत्मिक जागृति के विविध सत्र, आराधना शिविर, महिला-युवती प्रेरणा कार्यक्रम और सामूहिक उपासना जैसे अनेक आयोजन योजनाबद्ध रूप से संपन्न होंगे।
विलास राठोड़ ने समाज से आह्वान किया कि अधिक से अधिक श्रावक-श्राविकाएं इस चातुर्मास में भाग लेकर धर्मलाभ प्राप्त करें और पुण्य संचय करें। यह चातुर्मास पुणे जैन समाज के लिए आध्यात्मिक जागरण का एक स्वर्णिम अवसर सिद्ध होगा।
