जीतो पुणे चैप्टर फाउंडेशन द्वारा विशेष साधना सत्र का आयोजन
महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : जीतो पुणे चैप्टर फाउंडेशन की हेल्थ कमेटी द्वारा एक विशेष साधना सत्र का आयोजन चैप्टर चेयरमैन इंद्रकुमार छाजेड़ एवं चीफ सेक्रेटरी दिनेश ओसवाल के मार्गदर्शन में किया गया। कार्यक्रम का विषय था “भक्तामर स्तोत्र: आज की जिंदगी में इसका प्रासंगिक प्रयोग”।
इस सत्र के मुख्य वक्ता राजेश सुराना, संस्थापक Religious Raaga, रहे। उन्होंने भक्तामर स्तोत्र की दिव्यता, वैज्ञानिकता और व्यावहारिक उपयोगिता को अत्यंत सरल, रोचक और अनुभूतिपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया।
सुराना ने स्पष्ट किया कि, भक्तामर स्तोत्र केवल मनोकामना पूर्ति का माध्यम नहीं, बल्कि यह आत्मशुद्धि, कर्म क्षय और आंतरिक परिवर्तन की एक गहन आध्यात्मिक साधना है। उन्होंने बताया कि जीवन में जो भी मानसिक तनाव, व्यापार में रुकावट, रोग या आर्थिक संकट आते हैं, वे सब हमारे कर्मों के उदय का परिणाम होते हैं।
और श्रद्धा व नियमपूर्वक की गई भक्तामर साधना इन कर्मों को क्षीण कर सकारात्मक दिशा में जीवन को मोड़ने का सामर्थ्य रखती है। राजेश सुराना ने कुछ विशिष्ट गाथाओं के गूढ़ अर्थों को अत्यंत सरल भाषा में समझाया।
उन्होंने पाँच शुद्धताओं स्थान, समय, आसन, मन और उच्चारण के महत्त्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इन तत्वों के साथ की गई साधना चमत्कारी रूप से मन और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाती है।
सत्र के अंत में तीन गाथाओं पर सामूहिक ध्यान-साधना करवाई गई, जिसका प्रभाव सभी प्रतिभागियों ने आत्मिक रूप से अनुभव किया। साथ ही, प्रतिभागियों को प्रश्नोत्तरी सत्र में अपने संशय स्पष्ट करने का अवसर मिला, जिससे यह समझ बना कि भक्तामर स्तोत्र केवल इच्छापूर्ति नहीं, बल्कि मोक्षमार्ग की ओर प्रेरित करने वाला सशक्त साधन है।
राजेश सुराना ने यह भी बताया कि भक्तामर की प्रत्येक गाथा मंत्र-शक्ति से ओतप्रोत होती है, जिनमें अक्षरों का ऐसा संयोजन होता है कि जप करते समय स्वतः ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिससे जीवन में सकारात्मक घटनाएँ घटित होने लगती हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ चैप्टर डायरेक्टर आनंद चोरडिया के स्वागत भाषण से हुआ। हेल्थ कन्वीनर सचिन जैन ने कार्यक्रम की संकल्पना व रूपरेखा प्रस्तुत की तथा आभार प्रदर्शन किया। मुख्य सचिव दिनेश ओसवाल ने जीतो की हेल्थ इनिशिएटिव्स पर प्रकाश डाला, वहीं चेयरमैन इन्द्रकुमार छाजेड़ ने भक्तामर जैसे आयोजनों की गहनता व प्रासंगिकता को समय की आवश्यकता बताया।
सत्र का संचालन वनिता मेहता ने किया। कार्यक्रम की संपूर्ण व्यवस्थाएं संदीप खिंवसरा द्वारा अत्यंत सुचारू रूप से निभाई गईं, जिससे संपूर्ण आयोजन अनुशासित और प्रभावी रूप में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम में जीतो के कई पदाधिकारी एवं गणमान्य सदस्य उपस्थित रहे।
विशेष उपस्थिति रही राजेश सुराना की धर्मपत्नी सुषमा सुराना की, जिन्हें वह अपनी साधना यात्रा की प्रथम प्रेरणा मानते हैं। उनका भावनात्मक समर्थन और आत्मीय सहयोग इस आध्यात्मिक कार्य में एक गहरे स्तंभ की भांति रहा है।
महाराष्ट्र जैन वार्ताकरीब 65 से अधिक प्रतिभागियों ने इस सत्र में भाग लिया। कार्यक्रम के समापन पर सभी ने इस तरह की साधना पुनः आयोजित करने का आग्रह करते हुए कहा कि इस आयोजन ने उन्हें भक्तामर स्तोत्र को एक नए दृष्टिकोण से देखने और अपनाने की प्रेरणा दी।
आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली में आत्मिक शांति और मानसिक संतुलन के लिए भक्तामर जैसी साधनाओं का अभ्यास अत्यंत आवश्यक है। यह केवल धार्मिक रस्म नहीं, बल्कि जीवन की दिशा और दशा बदलने वाली आध्यात्मिक प्रक्रिया है।” – इंद्रकुमार छाजेड़, चेयरमैन, जीतो पुणे चॅप्टर
“भक्तामर स्तोत्र जीवन के हर संघर्ष में एक आध्यात्मिक कवच की तरह काम करता है। इसकी साधना न केवल रोग, तनाव और आर्थिक संकट से उबरने में सहायक है, बल्कि यह आत्मिक विकास और मोक्षमार्ग की ओर भी अग्रसर करती है।” – दिनेश ओसवाल, चीफ सेक्रेटरी, जीतो पुणे चॅप्टर
“भक्तामर स्तोत्र के प्रत्येक अक्षर में कंपनशील ऊर्जा होती है। सही उच्चारण, सही भाव व सही साधना पद्धति के साथ यह मंत्र न केवल जीवन की दिशा बदल सकता है, बल्कि आत्मा की गहराई तक शांति की अनुभूति देता है।” – राजेश सुराना, संस्थापक, Religious Raaga
“जीतो की हेल्थ कमेटी का यह प्रयास जीवनशैली और आध्यात्मिकता के मध्य सेतु निर्माण करने वाला है। ऐसे कार्यक्रम समाज में मानसिक आरोग्य और आंतरिक शांति को मजबूत करते हैं।” – आनंद चोरडिया, डायरेक्टर, जीतो पुणे चैप्टर
“भक्तामर स्तोत्र केवल एक पाठ नहीं, बल्कि आत्मा की चिकित्सा है। इसकी ऊर्जा हमारे भीतर छिपी दिव्यता को जागृत करती है और जीवन को नई दिशा देती है।” – विशाल शिंगवी, डायरेक्टर, जीतो पुणे चैप्टर
“जब भक्तामर जैसी साधनाएँ श्रद्धा और नियम के साथ की जाती हैं, तब वे केवल अध्यात्म नहीं, बल्कि मानसिक आरोग्य और जीवन समाधान का आधार बनती हैं।” – रुपेश कोठारी, डायरेक्टर, जीतो पुणे चैप्टर
