महाराष्ट्र जैन वार्ता
पुणे : जानना और करना इन दोनों के बीच जब अंतर आ जाता है, तभी जीवन की समस्याओं की असली शुरुआत होती है। वर्तमान की वस्तुएँ देखने के लिए इंद्रियाँ पर्याप्त होती हैं, लेकिन आकाश में छिपी संभावनाओं को जानने के लिए एक अलग शक्ति की आवश्यकता होती है। कुछ ही गिने-चुने व्यक्ति ऐसी संभावनाएँ देख पाते हैं, और यह देख पाना बहुत महत्वपूर्ण होता है।
हम भूतकाल देखते हैं, वर्तमान देखते हैं, कल्पनाओं में खो जाते हैं। लेकिन संभावनाएँ नहीं देखते। प्रत्येक वस्तु में, प्रत्येक व्यक्ति में क्या संभावनाएँ हैं, यह देख पाना आवश्यक है। उन संभावनाओं को उजागर कर दिखाने वाला व्यक्ति ही कुशल या “मास्टर” कहलाता है।
जब हमारे जीवन में निराशा के बादल घिर आते हैं, तब हम भविष्य की संभावनाएँ देख नहीं पाते इसलिए हमारे साथ वैसा घटित होता है। जीवन में कितनी भी बाधाएँ या चुनौतियाँ आएँ, फिर भी अपने सपनों के लिए आगे बढ़ते रहना, यह छत्रपति शिवाजी महाराज से सीखने योग्य है।
इसी प्रकार भगवान महावीर का जीवन भी अत्यंत प्रेरणादायी है। मेरे जीवन में जब निराशा के क्षण आते हैं, तब मैं महावीर के जीवन के कुछ प्रसंगों को याद करता हूँ। यदि हमें परमात्मा के ज्ञान को समझना है, तो उसे अपनी दृष्टि के सम्मुख रखना आवश्यक है।
ईश्वर का धर्म है संयम दूसरों को श्रेष्ठ बनाने का धर्म। संयम आत्मा का धर्म है, उसे समझना आवश्यक है। प्रत्येक प्राणी को श्रेष्ठता की ओर ले जाने का प्रयास परमेश्वर करते हैं। स्वयं को गढ़ने के लिए हमें स्वयं को समर्पित करना होता है।

















