महाराष्ट्र न्यूज नेटवर्क : अभिजित डुंगरवाल
पुणे : श्री संभवनाथ जिनालय गुलटेकडी जैन संघ पुणे श्री प्रेम – भुवनभानु सम्प्रदाय के आ.अक्षयबोधिसूरिजी, दिव्य तपस्वी आ.हंसरत्नसूरिजी, पं.राजरक्षितविजयजी आदि मुनिवृंद श्री संभवनाथ भगवान के जन्म कल्याणक उत्सव के अवसर पर श्रीसंघ द्वारा भव्य प्रवेश किया गया।
सैकड़ों भक्त दिव्य तपस्वी के दर्शन के लिए आये। 13 वर्ष की आयु में उन्होंने आचार्य श्री भुवनभानुसूरिजी का शिष्यत्व प्राप्त कर संयम साधना प्रारम्भ की। बालमुनि रुपातीतविजयजीने आठ वर्ष की आयु में मास्क्षमण (३०उपवास) तपस्या की, उस निमित से उन्होने मासक्षमण करने का संकल्प लिया।
आ.हंसरत्नसूरिजी ने सिद्धांत दिवाकर आ. जयघोसासूरिजी महाराजा और वर्तमान गच्छाधिपति आ.राजेंद्रसूरिजी महाराज की महती कृपा प्राप्त कर तपधर्म का शंखनाद फुक्का। लगातार छह महीने का एकसाथ उपवास ऐसे छह बार किया। अब आज सातवी बारी का 83वां उपवासव्र है। इतनी बड़ी तपस्या में वह सुबह 3:30 बजे उठ जाते हैं और जप-तप करते हुए सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलते हैं। दोपहर को न आराम, न दीवार का सहारा।उपधान तपस्वी कविताबेन एवं मौनिका ने ऋषीमंडल पूजन का आयोजन किया ,पावन सान्निध्य पं. राजरक्षितविजयजी ने कहा कि पेट्रोल से गाड़ी चलती है, पुण्य से दुनिया चलती है। अधि-व्याधि-उपाधि से भरे संसार में सुख और समाधि प्राप्त करने के लिए शुद्ध पुण्य आवश्यक है। ईश्वर की भक्ति शुद्ध पुण्य प्राप्त करने का सबसे आसान तरीका है। मोबाइल फोन के दस अंकों को छूकर दुनिया भर के व्यक्ति से संपर्क किया जा सकता है वैसे ही भगवान के नव अंग को छूने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
